भारत में आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में एलजी पॉलिमर्स प्लांट से गुरुवार को केमिकल गैस लीक होने के कारण कम से कम 13 लोगों की मौत हुई है। मौक़े पर सभी आपातकालीन सेवाएं पहुंच गई हैं और 300 से ज़्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। पुलिस का कहना है कि आसपास के इलाक़ों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पहुंचाया गया है।
जब गुरुवार तड़के प्लांट से स्टाइरीन गैस लीक हुई तब आसपास के गाँव के लोग सो रहे थे। ग्रेटर विशाखापटनम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कमिश्नर श्रीजाना गुमाला ने ट्विटर पर लिखा है, ''सैकड़ों लोगों के भीतर सांस के ज़रिए यह गैस चली गई है। इससे लोग या तो बेहोशी की हालत में हैं या फिर सांस लेने में समस्या हो रही है।''
विशाखापटनम के पुलिस कमिश्नर आर के मीना ने बीबीसी तेलुगू को बताया है कि तीन लोगों की मौत प्लांट के पास हुई और पाँच की मौत किंग जॉर्ज अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। अब तक गैस रिसाव शुरू होने की वजह पता नहीं चली है। प्लांट के मैनेजमेंट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है।
किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि 86 लोगों को वेन्टिलेटर पर रखा गया है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये की मदद देने का एलान किया है। साथ ही जिन लोगों को गंभीर हालत में वेन्टिलेटर पर रखा गया है उन्हें दस दस लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है।
हादसे के कारणों की जांच के लिए सरकार ने एक कमिटी का गठन किया है।
इधर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि रिहाइशी इलाक़े में प्लांट बनाने की इजाज़त कैसे दी गई?
विशाखापटनम पुलिस की असिस्टेंट कमिश्नर स्वरूपा रानी ने घटना के शुरुआती घंटों में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा था कि कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और 300 से 400 लोगों को अस्पतालों में भर्ती किया गया है।
स्वरूपा रानी ने कहा था कि आसपास के इलाक़ों से 1500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का कहना है कि प्लांट के पास क़रीब तीन किलोमीटर का इलाक़ा जोखिमों से भरा है।
पुलिस ने आसपास के पाँच गाँवों को ख़ाली करा दिया है और उन्हें मेघाद्री गेड्डा और दूसरे सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। कइयों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ़ होने की शिकायत की है। ख़ासकर बुज़ुर्गों और छोटे बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्घटना पर ट्वीट किया है, "एमएचए और एनडीएमए के अधिकारियों से बात हुई है जो इस दुर्घटना पर नज़र बनाए हुए हैं। मैं विशाखापटनम में सभी के सुरक्षित रहने और उनकी बेहतरी की कामना करता हूँ।''
यह केमिकल प्लांट एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का है। 1961 में बना यह प्लांट हिंदुस्तान पॉलिमर्स का था जिसका 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी ने अधिग्रहण कर लिया था।
आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री गौतम रेड्डी ने बीबीसी तेलुगू से बातचीत में कहा है कि यह साढ़े तीन बजे सुबह की घटना है। उन्होंने कहा, "फैक्ट्री लॉकडाउन के बाद खुला था। कामगार फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रहे थे जब यह दुर्घटना हुई। वाक़ई में क्या हुआ था, यह हम समझने की कोशिश में लगे हुए हैं। पहली नज़र में तो यह लग रहा है कि कंपनी के मैनेजमेंट नियमों का पालन नहीं किया है।''
उन्होंने आगे कहा, ''सरकार ने लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियों ख़ासकर हानिकारक उत्पादों वालों को खोलने को लेकर गाइडलाइन्स जारी किए हुए हैं। अगर कंपनी इन गाइडलाइन्स का पालन नहीं करने की दोषी पाई जाती है, तो उसके ख़िलाफ़ सख्त क़दम उठाए जाएंगे।''
उन्होंने कहा, ''अब तक 90-95 प्रतिशत रिसाव को नियंत्रित कर लिया गया है। अगले एक घंटे में इस पर पूरी तरह से काबू पा लिया जाएगा। गैस का रिसाव एक किलोमीटर तक हुआ है। जब यह दुर्घटना हुई थी तब उस वक़्त फैक्ट्री के अंदर कर्मचारी मौजूद थे। उनसे जुड़ी कोई जानकारी अभी हमें नहीं मिली है। हम इन बातों को जानने का प्रयास कर रहे हैं कि जिन लोगों ने सांस के साथ गैस अंदर ले लिया है, उसका लंबे वक़्त के बाद क्या असर पड़ने वाला है?''
भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने मृतकों के परिवार वालों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा, ''मैंने मुख्य सचिव और आंध्र प्रदेश के डीजीपी से वहाँ के हालात के बारे में बात की है। एनडीआरएफ की टीम को हर ज़रूरी राहत पहुँचाने को कहा है। मैं लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हूँ। सैकड़ों लोग इस अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की वजह से प्रभावित हुए हैं।''
आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री गौतम रेड्डी ने कहा है कि इस घटना के बारे में कोरियाई दूतावास को जानकारी दे दी गई है। उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि इस हादसे को लेकर कंपनी वैसे ज़िम्मेदारी दिखाएगी जैसा यूरोपीय संघ के किसी देश या अमरीका में होने पर करती। ज़िम्मेदारी कंपनी की बनती है।''
ज़िलाधिकारी ने बताया है कि यह दुर्घटना तब हुई जब लॉकडाउन के बाद फिर से प्लांट में काम शुरू किया गया। उन्होंने बताया, "गैस के रिसाव को रोकने के शुरुआती प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिली है। अभी इसे नियंत्रित करने में दो घंटे और लगेंगे।''
भारतीय नेवी ने पाँच पोर्टेबल मल्टीफीड ऑक्सीजन मेनीफोल्ड सेट्स गैस पीड़ितों के लिए किंग जॉर्ज अस्पताल को दिया है। नवल डॉकयार्ड विशाखापटनम की टेक्निकल टीम किंग जॉर्ज अस्पताल में मदद के लिए मौजूद है ताकि इन सेट्स का जल्द से जल्द इंस्टॉलेशन किया जा सके।
स्टाइरीन गैस क्या है?
स्टाइरीन मूल रूप में पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक और रेज़िन बनाने में इस्तेमाल होती है। यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड होता है। इसकी गंध मीठी होती है। इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन भी कहा जाता है। बेंजीन और एथिलीन के ज़रिए इसका औद्योगिक मात्रा में यानी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। स्टाइरीन का इस्तेमाल प्लास्टिक और रबड़ बनाने में होता है। इन प्लास्टिक या रबड़ का इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ें रखने वाले कंटेनरों, पैकेजिंग, सिंथेटिक मार्बल, फ्लोरिंग, डिस्पोज़ेबल टेबलवेयर और मोल्डेड फ़र्नीचर बनाने में होता है।
स्टाइरीन के संपर्क में आने पर इंसानों पर क्या असर पड़ता है?
स्टाइरीन की भाप अगर हवा में मिल जाए तो यह नाक और गले में जलन पैदा करती है। इससे खांसी और गले में तकलीफ़ होती है और साथ ही फेफड़ों में पानी भरने लगता है। अगर स्टाइरीन ज़्यादा मात्रा में सांस के ज़रिए शरीर में पहुंचती है तो यह स्टाइरीन बीमारी पैदा कर सकती है। इसमें सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान, सिर चकराना, कनफ़्यूजन और पेट की गड़बड़ी होने जैसी दिक्क़तें होने लगती हैं। इन्हें सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन कहा जाता है। कुछ मामलों में स्टाइरीन के संपर्क में आने से दिल की धड़कन असामान्य होने और कोमा जैसी स्थितियां तक बन सकती हैं।
स्टाइरीन त्वचा के ज़रिए भी शरीर में दाखिल हो सकती है। अगर त्वचा के ज़रिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के ज़रिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं। स्टाइरीन की फ़ुहार के संपर्क में आने से त्वचा में हल्की जलन और आंखों में मामूली से लेकर गंभीर जलन तक हो सकती है।
महामारी विज्ञान में कई अध्ययनों से यह पता चला है कि स्टाइरीन के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया और लिंफ़ोमा का भी जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इस चीज़ को अभी पुख्ता तौर पर साबित नहीं किया जा सका है।
दिल्ली में स्थित एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि "स्टाइरीन गैस की चपेट में आए लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक इसका असर नहीं रहेगा। न ही इस गैस के कारण होने वाली बीमारियों को घातक माना जाता है।''
लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या आम लोग भी इसके संपर्क में आ सकते हैं? जब तक आप इसके उत्पादन वाली जगहों पर काम नहीं करते हैं तो आपके बड़े पैमाने में इसके संपर्क में आने के आसार कम होते हैं। आम लोगों के बेहद कम मात्रा में स्टाइरीन के संपर्क में आने की संभावना बची-खुची प्लास्टिक या पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से इसके पैदा होने से हो सकती है। हालांकि, इतनी कम मात्रा का स्वास्थ्य पर कोई असर होने की आशंका नहीं है।
स्टाइरीन गैस कितना खतरनाक है?
स्टाइरीन एक तरह का हाइड्रोकार्बन है। इसका प्लास्टिक, पेंट और टायर आदि बनाने में इस्तेमाल होता है। स्टाइरीन को सूँधने या निगलने पर सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है। स्टाइरीन के संपर्क में आने वालों को साँस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, कमजोरी की शिकायत और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है? विशेषज्ञों के मुताबिक ये कैंसर की वजह बन सकती है।
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