भारत की 70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा शीर्ष 20 शहरों तक ही सीमित है। इसके अलावा 30 फीसदी भारतीय हर साल स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च की वजह से गरीबी रेखा की जद में आ जाते हैं।
पीडब्ल्यूसी और सीआईआई द्वारा संयुक्त रूप से जारी किए गए 'कैसे एमहेल्थ भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकता हैं', नामक ज्ञान पत्र के मुताबिक, भारत में 30 फीसदी लोग प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। इसमें कहा गया है कि भारत अकेले वैश्विक बीमारी का 21 फीसदी बोझ झेल रहा है।
पीडब्ल्यूसी के 14वें भारत स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में जारी ज्ञान पत्र में कहा गया कि बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच एक चुनौती है, क्योंकि सहायक बुनियादी ढांचा और संसाधन अपर्याप्त हैं। ज्ञान पत्र में भारत के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं के खस्ताहाल को दर्शाया गया, जिसमें कहा गया है कि भारत की 70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा शीर्ष 20 शहरों तक ही सीमित है, साथ ही 30 फीसदी भारतीयों के पास प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा तक पहुंच नहीं है।
पत्र में कहा गया है, ''भारत में प्रति 1000 आबादी पर केवल 0.7 डॉक्टर, 1.3 नर्स और 1.1 अस्पताल बेड हैं। जिससे इस प्रकार के एक एमहेल्थ (मोबाइल हेल्थ) चैनल की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, भारतीय स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र में वास्तव में कुछ आंकड़े चिंताजनक हैं, जिसमें जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अभी भी प्राथमिक इलाज से वंचित है। स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा की गुणवत्ता व सस्ती स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए नए तरीकों का लाभ उठाना जरूरी है।''
भारत में वैकल्पिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण चैनल के रूप में एमहेल्थ (मोबाइल स्वास्थ्य) का लाभ उठाने की काफी क्षमता है और यह सुविधा भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकती हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया हेल्थकेयर के डॉ. राणा मेहता ने कहा, ''अगर भारत में एमहेल्थ को पूरी तरह से अपना लिया जाता है, तो देश के स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।''
उन्होंने कहा, ''भारत की आबादी करीब 1.3 अरब है और अगर हम 6-8 फीसदी के एक रूढ़िवादी अनुमान लेते हैं, तो हम अतिरिक्त 7.9 से 10.5 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने की उम्मीद कर सकते हैं।''
सीआईआई हेल्थकेयर काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा, ''भारत को नए और अभिनव तरीकों की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों और अवसंरचना की कमी के लिए देखभाल और क्षतिपूर्ति प्रदान करें।''
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