भारतीय मीडिया में ऐसी ख़बरें हैं कि भारत की सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित एक 'ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 'केजरीवाल सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ज़रूरत से चार गुना ज़्यादा ऑक्सीजन की माँग की'।
लेकिन आम आदमी पार्टी ने ऐसी किसी रिपोर्ट के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए हैं।
अख़बारों मे छपी ख़बरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार को असल में क़रीब 289 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की दरकार थी, लेकिन उनके द्वारा क़रीब 1,200 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की गई।
आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पेनल की नहीं, बल्कि एक सब-पेनल की है जो मुख्य पेनल को भेजी गई है और ये सब-पेनल दरअसल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का ही है। गौरतलब है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है।
आम आदमी पार्टी का जवाब
आम आदमी पार्टी ने इस ख़बर का पुरजोर खंडन किया है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मीडिया को बताया कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं।
मनीष सिसोदिया ने कहा, "सच ये है कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं। बीजेपी झूठ बोल रही है। सुप्रीम ने एक ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी बनाई है। हमने इसके कई सदस्यों से बात की है। उनका कहना है कि उन्होंने तो रिपोर्ट साइन ही नहीं की है। अगर रिपोर्ट अप्रूव नहीं है, तो ये रिपोर्ट है कहां? मैं चुनौती देता हूं कि रिपोर्ट लाइए जो अप्रूव की गई हो। झूठ की इंतहा होती है।''
मीडिया में छपी ख़बरों में कहा गया था कि केजरीवाल सरकार की ज़रुरत से अधिक माँग का असर उन 12 राज्यों पर देखा गया जहाँ ऑक्सीजन की कमी से कई मरीज़ों को अपनी जान गँवानी पड़ी।
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिली थी। कई बार ऐसी ख़बरें आयीं थी कि ऑक्सीजन की कमी के चलते रातोंरात कई मरीज़ों की मौत हो गई।
उस दौर में केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की माँग की थी।
इस कथित रिपोर्ट के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के कई नेता अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेर रहे हैं।
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