जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका इकोनॉमिस्ट के सालाना 'डेमोक्रेसी इंडेक्स' में भारत 10 स्थान नीचे खिसक गया है।
ब्रिटेन का जाना-माना प्रकाशन समूह 'द इकोनॉमिस्ट ग्रुप' अपने रिसर्च विभाग 'द इंटेलिजेंस यूनिट' की मदद से हर वर्ष एक 'डेमोक्रेसी इंडेक्स' जारी करता है।
बुधवार को इस यूनिट ने 165 देशों के बारे में अपनी ताज़ा रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार भारत दस स्थान नीचे खिसक गया है।
भारत को 2019 के लिए सूचकांक में 51वें स्थान पर रखा गया है। इससे पहले के साल में भारत 41वें स्थान पर था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डेमोक्रेसी इंडेक्स में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के समग्र स्कोर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
शून्य से 10 के पैमाने पर भारत का स्कोर 2018 में 7.23 से गिरकर 2019 में 6.90 हो गया और इसकी प्राथमिक वजह देश में नागरिक स्वतंत्रता में कटौती करना रहा।
वर्ष 2019 के स्कोर की तुलना अगर पिछले वर्षों से करें, तो 2006 में रैंकिंग शुरू होने के बाद से यह सबसे कम स्कोर है।
इस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग गिरने और स्कोर घटने की वजह भी बताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत प्रशासित कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने, असम में एनआरसी पर काम शुरू होने और फिर विवादित नागरिकता क़ानून, सीएए की वजह से नागरिकों में बढ़े असंतोष के कारण भारत के स्कोर में गिरावट दर्ज की गई।
इस रिपोर्ट में भारत को एक ओर जहाँ 'राजनीतिक सहभागिता' के मामले में अच्छे नंबर मिले हैं, वहीं देश के मौजूदा 'राजनीतिक क्लचर' की वजह से कई नंबर कट भी गए हैं।
'द इंटैलिजेंस यूनिट' का कहना है कि वो सभी देशों के स्कोर का आंकलन वहाँ की चुनाव प्रक्रिया, बहुलतावाद, नागरिक स्वतंत्रता और सरकार के कामकाज के आधार पर करते हैं।
ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि 'साल 2019 लोकतंत्र के लिए सबसे ख़राब रहा। वैश्विक गिरावट मुख्य रूप से लैटिन अमरीकी, उप-सहारा अफ़्रीका और पश्चिम एशिया क्षेत्र में देखी गई। अधिकांश एशियाई देशों की रैंकिंग में 2019 में गिरावट देखी गई है'।
नई रिपोर्ट में नॉर्वे टॉप पर बना हुआ है। अमरीका इस रिपोर्ट में 25वें, ऑस्ट्रेलिया 9वें, जपान 24वें, इसराइल 28वें और ब्रिटेन 14वें पायदान पर है।
यदि भारत के पड़ोसी देशों की बात की जाए तो चीन 153वें, पाकिस्तान 108वें, नेपाल 92वें, बांग्लादेश 80वें और श्रीलंका 69वें नंबर पर है।
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