नोटबंदी के दो साल बाद भी बैंक कर्मचारियों को उस समय देर रात तक काम करने के बदले में अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया। कर्मचारियों को पैसे कम पड़ने पर अपनी जेब से भरने पड़े और वे अभी भी बेहाल हैं। नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) ने यह परेशानी बताई है।
बैंक कर्मचारियों के इस संगठन के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा, ''नोटबंदी का दर्द सबने झेला। इसकी सबसे ज्यादा मार बैंक कर्मचारियों पर पड़ी। उन्होंने देर रात तक बैंकों में काम किया। उन्हें छुटि्टयां नहीं मिली और जो पैसा कम हुआ उसे उन्होंने अपनी जेब से भरा, लेकिन सबसे दुख की बात ये है कि दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें उनके अतिरिक्त काम के एवज में कोई भुगतान नहीं किया गया है।''
राणा ने कहा, ''ओवरटाइम ही नहीं, कर्मचारियों का वेतन समझौता एक नवंबर 2017 से लागू होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ है। भारतीय बैंक संघ ने इसके लिए कई बार बैठक की, लेकिन मात्र छह प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव किया, जो बेहद कम और शर्मनाक है।''
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