क्या कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट से बेरोज़गार युवाओं की तक़दीर बदल जाएगी?

 21 Aug 2020 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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भारत में केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी गठित करने का फ़ैसला किया है।

सरकार का दावा है कि ये एजेंसी केंद्र सरकार की नौकरियों में प्रवेश प्रक्रिया में परिवर्तनकारी सुधार लेकर आएगी और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी।

इस एजेंसी के तहत एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी समान योग्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी जो कि रेलवे, बैंकिंग और केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए ली जाने वाली प्राथमिक परीक्षा की जगह लेगी।

वर्तमान में युवाओं को अलग अलग पदों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए भारी आर्थिक दबाव और कई तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कैबिनेट के इस फ़ैसले की प्रशंसा की है।

मोदी ने लिखा है, ''राष्‍ट्रीय भर्ती एजेंसी करोड़ों युवाओं के लिए एक वरदान साबित होगी। सामान्‍य योग्‍यता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) के ज़रिये इससे अनेक परीक्षाएं ख़त्म हो जाएंगी और कीमती समय के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी। इससे पारदर्शिता को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।''

कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट क्या है?

भारत में हर साल दो से तीन करोड़ युवा केंद्र सरकार और बैंकिग क्षेत्र की नौकरियों को हासिल करने के लिए अलग अलग तरह की परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं।

उदाहरण के लिए बैंकिंग क्षेत्र में नौकरियों के लिए ही युवाओं को साल में कई बार आवेदन पत्र भरना पड़ता है। और प्रत्येक बार युवाओं को तीन-चार सौ रुपये से लेकर आठ-नौ सौ रुपये तक की फीस भरनी पड़ती है।

लेकिन नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी अब ऐसी ही तमाम परिक्षाओं के लिए एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन करेगी।

इस टेस्ट की मदद से एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के लिए पहले स्तर पर उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और परीक्षा ली जाएगी।

भारत के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक़, कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट एक ऑनलाइन परीक्षा होगी जिसके तहत ग्रेजुएट, 12वीं पास, और दसवीं पास युवा इम्तिहान दे सकेंगे।

ख़ास बात ये है कि ये परीक्षा शुरू होने के बाद परीक्षार्थियों को अलग अलग परीक्षाओं और उनके अलग-अलग ढंगों के लिए तैयारी नहीं करनी पड़ेगी।

क्योंकि एसएससी, बैंकिंग और रेलवे की परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालों में एकरूपता नहीं होती है। ऐसे में युवाओं को हर परीक्षा के लिए अलग तैयारी करनी पड़ती है।

ये परीक्षा कैसे होगी?

इन परीक्षाओं को देने के लिए युवाओं को कम उम्र में ही घर से दूर बनाए गए परीक्षा केंद्रों तक बस और रेल यात्रा करके जाना पड़ता था।

सरकार की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा युवाओं की इन मुश्किलों को हल कर देगी क्योंकि इस परीक्षा के लिए हर ज़िले में दो सेंटर बनाए जाएंगे।

इसके अलावा इस परीक्षा में हासिल स्कोर तीन सालों तक वैद्य होगा। और इस परीक्षा में अपर एज लिमिट नहीं होगी।

इस परीक्षा से क्या बदलेगा?

शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ये एक ऐसा सुधारवादी कदम है जिसकी काफ़ी समय से प्रतीक्षा की जा रही थी।

सरकार का यह कदम अच्छा है और इसका असर भी दीर्घकालिक होगा लेकिन ये सुधार की दिशा में सिर्फ पहला और बहुत छोटा कदम है। अभी नौकरियों के लिए आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं के क्षेत्र में बहुत सुधार किया जाना बाकी है। भारत में  प्रतियोगिता परीक्षाओं के नाम पर केवल युवाओं के कीमती समय, पैसा और संसाधनों की ही बर्बादी होती है।

कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट में भारत में नौकरियों के लिए आयोजित की जाने वाली सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं को शामिल करना चाहिए। इससे युवाओं के कीमती समय, पैसा और संसाधनों की बर्बादी नहीं होगी।

 

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