भारत और चीन के बीच गलवानी घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशों के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलिफ़ोन पर बातचीत हुई।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा भारत स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी दिया है।
भारत में चीनी राजदूत सुन वायडोंग ने अपने बयान में दोनों विशेष प्रतिनिधियों के आपस में बातचीत का ब्यौरा दिया है। उन्होंने कहा है कि चीनी विदेश मंत्री ने अजीत डोभाल को बताया कि भारत और चीन के आपसी रिश्ते 70 साल पुराने हैं।
चीनी विदेश मंत्री के मुताबिक़ भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें सही क्या है और ग़लत क्या हुआ है - ये स्पष्ट है।
चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ इलाके में शांति भी बहाल करना चाहता है।
वांग यी ने अपनी बातचीत में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन और भारत दोनों की शीर्ष प्राथमिकता विकास है, ऐसे में दोनों देशों को तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए।
चीनी राजदूत के मुताबिक़ दोनों प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से बातचीत हुई। इस बातचीत में मोटे तौर पर चार बातों पर सहमति बनी है -
- दोनों देश के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति के साथ विकास के लिए लंबे समय तक साथ काम करने की सहमति है।
- दोनों देश आपसी समझौते के मुताबिक सीमा पर तनातनी को कम करने के लिए संयुक्त रूप से कोशिश करेंगे।
- विशेष प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बातचीत के ज़रिए दोनों पक्ष आपसी संवाद को बेहतर बनाएंगे। भारत चीन के बीच सीमा मामलों में सलाह और संयोजन के लिए वर्किंग मैकेनिज्म की व्यवस्था को नियमित करके उसे बेहतर बनाया जाएगा। इससे दोनों पक्षों के बीच भरोसा मज़बूत होगा।
दोनों पक्ष ने हाल में हुई कमांडर स्तर की बैठक में जिन बातों पर सहमति जताई गई है, उसका स्वागत किया है। पहली जुलाई को कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई थी।
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया था कि भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर की सीमा पर हाल की गतिविधियों को लेकर डोभाल और वांग यी के बीच स्पष्ट और विस्तार से बात हुई है।
दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति जताई गई है कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों को सीमा पर शांति बहाल करनी होगी और मतभेदों को विवाद का रूप लेने से रोकना होगा।
इस दिशा में दोनों पक्ष सीमा पर तनातनी कम करने की प्रक्रिया पर काम कर चुके हैं, यानी अब वैसी स्थिति नहीं है जैसी कि दोनों पक्षों के सैनिकों के आमने सामने आ जाने से उत्पन्न हो गई थी। दोनों पक्षों ने इसे चरणबद्ध तरीके से कदम दर कदम करने पर सहमति जताई है।
बयान में ये भी कहा गया है कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों की इस बातचीत में दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों के बीच भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई गई है।
इसके अलावा डोभाल और वांग यी के बीच आपसी बातचीत को नियमित रखने पर भी सहमति बनी है।
वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को बीजिंग में पत्रकारों से कहा, ''दोनों पक्षों में सीमा पर तनातनी कम करने को लेकर साकारात्मक प्रगति हुई है।''
लिजियान ने उम्मीद जताई है कि भारतीय पक्ष चीन के साथ मिलकर उन बातों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा जिन बातों को लेकर आपसी सहमति बन गई है।
भारत-चीन सीमा विवाद पर नज़र रख रहे अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि सीमा पर तनातनी को कम करने की प्रक्रिया सोमवार सुबह से शुरू हो गई है।
अधिकारियों ने बताया कि यह काम तीन जगहों पर चल रहा है, ये जगहें हैं - गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स। बीबीसी को जानकारी देने वाले अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे देपसांग या पैंगोंग त्सो झील की बात नहीं कर रहे हैं।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, "तंबू और अस्थायी ढांचे दोनों तरफ़ से हटाए जा रहे हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं। लेकिन इसका मतलब वापसी या प्रकरण का अंत नहीं है।''
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इन गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है जिसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स की मदद ली जा रही है।
कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सैनिक कितने पीछे हटे हैं, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कोई दूरी बताने से इनकार किया।
उन्होंने इतना ही कहा, ''यह उस प्रक्रिया की शुरूआत है जो 30 जून को चुसुल में हुई दोनों पक्षों के कमांडरों की बैठक के बाद तय की गई थी।''
हालांकि मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार गलवान में जहां पर हिंसा हुई थी चीनी सैनिक वहां से दो किलोमीटर पीछे की ओर जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।
इसके बाद बीते एक जुलाई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की बातचीत हुई और उस बातचीत में भी भारत-चीन एलएसी पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई गई थी।
इसके बाद सप्ताह भर पहले भारत सरकार ने 59 ऐसे मोबाइल ऐप्स बंद करने की घोषणा की जिनमें जाने माने सोशल प्लेटफ़ॉर्म टिकटॉक, वीचैट अली बाबा ग्रुप का यूसी ब्राउज़र भी शामिल थे।
हालांकि भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन स्पष्ट कहा कि शिकायत मिली थी कि एंड्रॉयड और आईओएस पर ये ऐप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे। इन ऐप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे। यह भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए ज़रूरी है।
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