असद तुर्की हमले के खिलाफ कुर्दों की मदद क्यों कर रहे हैं?

 15 Oct 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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तुर्की के बढ़ते सैन्य अभियान के बीच कुर्द बलों और सीरियाई सरकार के बीच आपसी मदद के लिए सहमति बन गई है। इसके घंटों बाद सीरियाई सेना कुर्दों की मदद के लिए देश के उत्तर की ओर बढ़ रही है।

सीरियाई सरकारी मीडिया के अनुसार रूस समर्थित सेना ने तुर्की की सीमा से 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में ताल तामेर शहर में प्रवेश कर लिया है। सरकारी मीडिया के अनुसार सेना ने मानबिज शहर में भी प्रवेश कर लिया है जहां तुर्की सीरिया से विस्थापित हुए लोगों को बसाने के लिए सेफ़ ज़ोन बनाना चाहता है।

रविवार को कुर्दों के मुख्य सहयोगी अमरीका ने सीरिया में मौजूद अपने सभी सैनिकों को बाहर निकालने की घोषणा की थी जिसके बाद सीरियाई सरकार का यह फैसला आया है।

तुर्की के हमले का मक़सद कुर्द बलों को अपनी सीमा क्षेत्र से पीछे खदेड़ना है।

कुर्द नेतृत्व वाले सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ़) के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में रविवार को भारी बमबारी हुई। इस दौरान तुर्की को रास अल-ऐन और तल आब्यद के प्रमुख सीमावर्ती शहरों में सफलता मिली है।

इन हमलों में दोनों तरफ से दर्जनों नागरिक और लड़ाके मारे गए हैं।  

रविवार को अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क ऐस्पर ने सीरिया से अमरीकी सैनिकों के हटाए जाने की घोषणा की थी। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के उत्तर सीरिया से अमरीकी सैनिकों को वापस बुलाने के विवादास्पद फ़ैसले के कुछ दिन बाद ही तुर्की ने सीरिया के कुछ इलाकों पर हमला किया था।  

ट्रंप के फ़ैसले और तुर्की के हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ युद्ध में सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस पश्चिमी देशों का मुख्य सहयोगी रहा है।

और अब इस अस्थिरता के बीच कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के दोबारा सक्रिय होने और इससे जुड़े कैदियों के भागने के बारे में आशंकाएं जताई जा रहीं हैं।

हाल ही में एसडीएफ़ और कुर्द नेतृत्व में लड़ रहे लड़ाकों ने कहा था कि तुर्की की सेना के हमले के कारण हालात बिगड़े तो वो कैम्पों में रह रहे कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के संदिग्ध लड़ाकों के परिवारों की रक्षा नहीं कर पाएंगे।

उत्तरी सीरिया में कुर्द नेतृत्व वाले प्रशासन के अनुसार रविवार को हुए समझौते के बाद सीरियाई सेना को कुर्द बलों द्वारा नियंत्रित सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने की अनुमति मिल जाएगी। यहां से वो तुर्की के हमले के खिलाफ़ कुर्दों की मदद कर सकेंगे।

2012 के बाद यह पहली बार है जब सीरियाई सैनिक इन क्षेत्रों में प्रवेश करेंगे। उस वक्त़ राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रही सेना दूसरे इलाकों में विद्रोहियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इस इलाके से पीछे हट गई थी। इस इलाके का नियंत्रण कुर्दों को दे दिया गया था।

कई मुद्दों पर कुर्दों से असहमत होने के बावजूद राष्ट्रपति असद ने इस क्षेत्र को फिर से लेने की कभी कोशिश नहीं की। ख़ासतौर पर तब जब इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन में कुर्द इस क्षेत्र में अमरीकी सैनिकों के साथ साझेदार बन गए।

चूंकि डोनल्ड ट्रंप के उत्तर सीरिया से अमरीकी सैनिकों को वापस बुलाने के फ़ैसले के कुछ ही दिन बाद तुर्की ने ये हमला किया है। ऐसे में कुर्दों का कहना है कि वे अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अपनी सेना को वापस बुलाने के फ़ैसले को धोखे की तरह देखते हैं।

ये भी कहा जा रहा है कि ट्रंप के इस कदम से तुर्की को एक तरह की हरी झंडी मिल गई है। तुर्की कुर्दों को चरमपंथी मानता है।

फिलहाल के लिए, सीरियाई सेना को तल आब्यद और रास अल-ऐन शहरों के बीच तैनात नहीं किया जाएगा। ताल तामेर के अलावा सैनिक ऐन इस्सा में भी पहुंचे हैं। सरकारी मीडिया के अनुसार सेना के पहुंचने पर लोगों ने जश्न मनाया जिसकी तस्वीरें भी प्रसारित की गईं हैं।  

तुर्की पर सैन्य अभियान रोकने का दबाव बढ़ रहा है लेकिन राष्ट्रपति रिचेप तैयप्प अर्दोआन ने कहा है कि यह अभियान जारी रहेगा। सोमवार को उन्होंने कहा कि तुर्की पीछे नहीं हटेगा। इस पर कोई क्या कहता है इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

तुर्की कुर्दों को सीरिया में 32 किलोमीटर अंदर तक बन रहे 'सेफ़ ज़ोन' से बाहर धकेलना चाहता है। तुर्की ने यहां करीब 20 लाख से ज्यादा सीरियाई शरणार्थियों को फिर से बसाने की योजना बनाई है जो इस समय तुर्की में है। इनमें से ज़्यादातर कुर्द नहीं हैं।

अर्दोआन की करीबी सहयोगी रहे रूसी सरकार ने कहा कि वह सीरिया में रूसी और तुर्की बलों के बीच संघर्ष की कोई संभावना नहीं चाहती है और वह तुर्की के अधिकारियों के साथ लागतार संपर्क में है।

इससे पहले, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि कुर्द बलों ने अमरीका को संघर्ष में घसीटने के लिए इस्लामिक स्टेट के कैदियों को रिहा किया गया हो सकता है। उन्होंने आगे कहा, ''तुर्की पर बड़ा प्रतिबंध लगाया जाएगा।''

इन हमलों में अब तक सीरिया में कम से कम 50 और दक्षिण तुर्की में 18 आम नागरिक मारे गए हैं। कुर्द बलों ने अपने 56 लड़ाकों की मौत की पुष्टि की है।

तुर्की का कहना है कि सीरिया में उसके चार सैनिक और 16 तुर्की समर्थित सीरियाई लड़ाके भी मारे गए हैं।  

संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसी ने कहा कि एक लाख साठ हज़ार से अधिक नागरिक विस्थापित हुए हैं और यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

रविवार को कुर्द अधिकारियों ने बताया कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े करीब 800 लोग उत्तरी सीरिया में एक शिविर से भाग निकले हैं।

उन्होंने बताया कि बंदियों ने ऐन इस्सा के विस्थापन शिविर के गेट पर हमला किया। इस इलाक़े के नज़दीक ही लड़ाई चल रही है।

सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस के अनुसार शिविर में सात जेलों में इस्लामिक स्टेट से जुड़े करीब 12,000 संदिग्ध लोगों को रखा गया है जिनमें से लगभग 4,000 विदेशी महिलाएं और बच्चे हैं जिनका संबंध इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से है।

तुर्की ने कहा है कि वह आईएस के उन कैदियों की जिम्मेदारी लेगा जो उसे हमले के दौरान मिलेंगे।

तुर्की ने ये दावा किया है कि वो उत्तरी सीरिया में अपने कदम बढ़ा रहा है।  रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रिचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा कि सुरक्षा बलों ने 109 वर्ग किलोमीटर के इलाके में अपना कब्ज़ा कर लिया है।

 

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