अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की प्रक्रिया क्यों शुरू हुई?

 26 Sep 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
POSTER

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ शिकायत करने वाले एक व्यक्ति का कहना है कि व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी डोनल्ड ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच हुई फ़ोन कॉल के विवरणों को दबाने की कोशिश कर रहे थे।

हाल में रिलीज़ हुई शिकायत के मुताबिक़, कॉल का ब्यौरा साधारण कंप्यूटर सिस्टम में संग्रहित नहीं था। इसके बजाय यह एक अलग प्रणाली में संग्रहीत किया गया था।

अब से थोड़ी देर पहले उस शिकायत का ब्यौरा सार्वजनिक किया गया जिसके आधार पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उन्हें कई स्रोतों से ये जानकारी मिली है कि ट्रंप 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में विदेशी दख़ल के लिए अपनी ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसी बीच अमरीका की नेशनल इंटेलिजेंस के कार्यवाहक निदेशक जोसेफ़ मैगूरे कांग्रेस समिति के समक्ष पेश हुए हैं। समिति उनसे यह पूछ सकती है कि वो ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच फ़ोन वार्ता को लेकर एक ख़ुफ़िया अधिकारी की ओर से जारी की गई चिंताओं पर कई सप्ताह तक क्यों चुप रहे?

इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति के ऑफ़िस, व्हाइट हाउस ने डोनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की के बीच फ़ोन पर हुई उस बातचीत का ब्यौरा जारी किया था जिसके आधार पर ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इस बातचीत में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को 25 जुलाई को डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडेन और एक यूक्रेनी गैस फ़र्म में काम करने वाले उनके बेटे के ख़िलाफ़ जांच शुरू करने को कहा।

अमरीकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में डेमोक्रेट पार्टी के नेता चक शूमर ने कहा है कि जारी किए गए दस्तावेज़ों ने महाभियोग की कार्रवाई पर मुहर लगा दी है।

वहीं रिपब्लिकन पार्टी के ओकलाहोमा से सांसद मार्कवेयन म्यूलिन का कहना है कि इन दस्तावेज़ों से कुछ भी साबित नहीं होता है। उनका कहना था, "इनमें कुछ भी नहीं है। यदि स्पीकर ने महाभियोग की पूरी प्रक्रिया का आधार इन्हें ही बनाया है तो वो ठहरे हुए पानी में तैर रही हैं क्योंकि वो कहीं भी नहीं पहुंचने वाली हैं।''

वहीं रिपब्लिकन पार्टी की तीन सरकारों के दौरान सलाहकार रहे पीटर वेनर का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप पर लगे आरोपों से कोई हैरानी नहीं हुई।

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ये सब पूरी तरह प्रत्याशित था क्योंकि वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनका व्यक्तित्व ही अस्त-व्यस्त है और उनमें नैतिकता का तो जीन ही नहीं है। वो ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें कोई नैतिकता नहीं है और वो अपनी सत्ता को मज़बूत करने के लिए कुछ भी कहेंगे और करेंगे।''

वहीं राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। एक ट्वीट में ट्रंप ने लिखा, "डेमोक्रेट पार्टी के लोग रिपब्लिकन पार्टी और उसके सभी मूल्यों को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। रिपब्लिकन साथियों, एकजुट रहिए, उनके खेल को समझिए और मज़बूती से लड़िए। हमारा देश दांव पर है।''

ट्रंप पर महाभियोग का मामला जुड़ा है उनके एक प्रतिद्वंद्वी - जो बाइडेन - से जो कि अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं, और साथ ही इस मामले से जुड़ा एक देश यूक्रेन है।

आरोप ये है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वो जो बाइडेन और उनके बेटे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के दावों की जाँच करवाए।

इस आरोप के बाद अमरीकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है।

हालांकि ट्रंप ने इन आरोपों का खंडन किया है।

इस मामले की जड़ है एक फ़ोन कॉल, जो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच इस साल 25 जुलाई को हुई।

पिछले हफ्ते खबरें आईं कि अमरीका के खुफिया अधिकारियों ने सरकार के एक वॉचडॉग से शिकायत की थी कि ट्रंप ने एक विदेशी नेता से बातचीत की है। बाद में पता चला कि ये विदेशी नेता यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की हैं।

इंटेलिजेंस इंस्पेक्टर जनरल ने व्हिसल ब्लोअर की शिकायत को "तत्काल ध्यान में लेने योग्य" और विश्वसनीय माना था। डेमोक्रेट सांसदों ने उस शिकायत की कॉपी को संसद में रखने की मांग की थी, लेकिन व्हाइट हाउस और न्याय विभाग ने इससे इनकार कर दिया।

दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई थी, ये साफ़ नहीं है। हालांकि, डेमोक्रेट्स का आरोप है कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर जो बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का दबाव बनाया। और ऐसा ना करने पर यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने की धमकी दी।

हालांकि, ट्रंप ने माना है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी जो बाइडेन के बारे में चर्चा की थी, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने सैन्य मदद रोकने की धमकी इसलिए दी ताकि यूरोप भी मदद के लिए आगे आए।

मगर राष्ट्रपति ट्रंप ने उन आरोपों से इनकार किया है, जिनमें कहा जा रहा है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की पर दबाव बनाया कि वो ट्रंप के डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी जो बाइडेन और उनके बेटे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के दावों की जांच शुरू करें।

अमरीकी संविधान के मुताबिक़ राष्ट्रपति को देशद्रोह, रिश्वत और दूसरे संगीन अपराधों में महाभियोग का सामना करना पड़ता है।

अमरीका में महाभियोग की प्रक्रिया हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स से शुरू होती है और इसे पास करने के लिए साधारण बहुमत की ज़रूरत पड़ती है।

इस पर सीनेट में एक सुनवाई होती है लेकिन यहां महाभियोग को मंज़ूरी देने के लिए दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत पड़ती है।

अमरीकी इतिहास में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग के ज़रिए हटाया नहीं जा सका है।

ट्रंप के ख़िलाफ़ पहले भी महाभियोग चलाने की बात हुई है।

2016 में हुए चुनाव को प्रभावित करने के लिए रूस के साथ ट्रंप के मिलीभगत के आरोपों के बाद उन पर महाभियोग चलाने की बात हुई थी।

इसके अलावा डेमोक्रेटिक कांग्रेस की चार महिला सांसदों के खिलाफ कथित तौर पर 'नस्लीय टिप्पणी' करने पर भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की मांग उठी थी। हालांकि, इसे खारिज कर दिया गया था।

ट्रंप पर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दो महिलाओं के साथ अंतरंग संबंधों को गुप्त रखने के लिए रकम देने का भी आरोप लगा था।

ट्रंप के वकील और साथी रहे माइकेल कोहेन ने अंतरंग संबंधों को गुप्त रखने के लिए रकम देने की बात स्वीकार की थी।

इसके लिए भी उन पर महाभियोग चलाने की चर्चा हुई थी।

हालांकि, यह अलग बात है कि इन मामलों में ट्रंप पर महाभियोग नहीं चलाया जा सका और वह पद पर बने रहे।

अमरीका के इतिहास में कई बार महाभियोग का बादल गहराया, लेकिन केवल दो राष्ट्रपतियों को ही इसका सामना करना पड़ा।

अमरीका के इतिहास में महाभियोग का हालिया मामला अमरीका के 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का रहा।

बिल क्लिंटन को एक व्यापक जूरी के समक्ष झूठी गवाही देने और न्याय में बाधा डालने के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ा था।

मोनिका लेविंस्की से प्रेम संबंधों के मामले में उन्होंने झूठ बोला था। इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप था कि बिल क्लिंटन ने मोनिका लेविंस्की को भी इस मामले में झूठ बोलने के लिए कहा था।

बिल क्लिंटन के अलावा एन्ड्रयू जॉन्सन एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा था। जॉन्सन अमरीका के 17वें राष्ट्रपति थे। वह 1865 से 1869 तक अमरीका के राष्ट्रपति रहे थे।

जॉनसन के ख़िलाफ़ 1868 में हाउस में महाभियोग लाया गया था। उनके ख़िलाफ महाभियोग तब के युद्ध मंत्री एडविन स्टैंचन के हटने के 11 दिन बाद ही लाया गया था। एडविन राष्ट्रपति की नीतियों से सहमत नहीं थे।

जॉन्सन का मामला बिल क्लिंटन से बिल्कुल उलट था। जॉनसन का महाभियोग महज एक वोट से बच गया था।

 

(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें

शेयरिंग के बारे में

विज्ञापन

https://www.ibtnkhabar.com/

 

https://www.ibtnkhabar.com/

LIVE: Watch TRT WORLD


https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/