जापानी प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने भारत का दौरा क्यों रद्द किया?

 15 Dec 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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जापानी प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने भारत दौरा रद्द किया। नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को ये ख़बर भी भारतीय मीडिया में छाई रही।

इससे ठीक एक दिन पहले यानी गुरुवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन और गृह मंत्री असदुज़्ज़मां ख़ान ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। वजह थी भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर बांग्लादेश की नाराज़गी।

भारत के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध हो रहा है। ख़ासकर पूर्वोत्तर राज्यों में। इस क़ानून को लेकर मचे घमासान, बहस और प्रदर्शनों का असर भारत का दूसरे देशों के साथ संबंधों पर भी दिखा।

शिंज़ो आबे रविवार को भारत आने वाले थे। उनका दौरा 15-17 दिसंबर तक के लिए प्रस्तावित था और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात पूर्वोत्तर राज्य असम के गुवाहाटी में होनी थी।

वो भारत-जापान शिखरवार्ता में हिस्सा लेने वाले थे। असम नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों का केंद्र है।

ये दौरा रद्द होने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करके कहा कि दोनों देश मुलाकात के लिए जल्दी ही एक दूसरी सुविधाजनक तारीख़ तय करेंगे। हालांकि ये मुलाक़ात अब कब होगा, इस बारे में अभी कोई जानाकारी नहीं है।

शिंज़ो आबे का दौरा रद्द होने से जुड़ी ख़बरें और विश्लेषण जापानी मीडिया में भी प्रमुखता से छाई हैं। जापान मैगज़ीन 'निक्केई एशियन रिव्यू' ने इस पूरे मसले पर एक लगभग 800 शब्दों का ओपीनियन लेख प्रकाशित किया है।

नागरिकता संशोधन क़ानून पर केंद्रित इस लेख का शीर्षक है: भारत के ये बदलाव अनैतिक और ख़ुद को हराने वाले हैं।

लेख में शिंज़ो आबे के रद्द दौरे का ज़िक्र करते हुए नागरिकता संशोधन क़ानून की कड़ी आलोचना की गई है।

इसमें कहा गया है कि इसमें तो कोई शक ही नहीं है कि तथाकथित अवैध प्रवासियों से निबटने का भारतीय रणनीति का वास्ता धार्मिक भेदभाव से है। इतना ही नहीं, विदेश नीति और सुरक्षा पर भी इसका गंभीर असर होगा।

लेख में चेताया गया है कि भारत को इस बात से डरना चाहिए कि अगर दूसरे देश भी उसकी प्रवासी नीतियों को अपनाने लगें तो क्या होगा।  क्योंकि भारत की एक बड़ी आबादी क़ानूनी और ग़ैरक़ानूनी तरीक़ों से दूसरे देशों में रहती है।

टोक्यो से छपने वाले 'द जापान टाइम्स' की ख़बर में लिखा है कि गुवाहाटी में भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक संघर्ष हो रहे हैं और स्थानीय हालात को ध्यान में रखते हुए शिंज़ो आबे का दौरा स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।

ख़बर के मुताबिक़ जापान चीन को क़ाबू में रखने के लिए भारत के साथ कूटनीतिक और सामरिक रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

जापान टाइम्स लिखता है कि इस शिखरवार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधि सुरक्षा और आर्थिक विकास के मुद्दों पर चर्चा करने वाले थे।

ख़बर में असम की चिंताजनक स्थिति और भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स का भी ज़िक्र है। अख़बार लिखता है कि राज्य में हज़ारों स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि नए क़ानून से बड़ी संख्या में विदेशी प्रवासी वहां आ जाएंगे।

जापान के प्रमुख अख़बार 'असाही शिनबुन' और समाचार वेबसाइट जापान टुडे ने भी इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है। जापान टाइम्स में वहां के चीफ़ कैबिनेट सेक्रेटरी का बयान छपा है।

चीफ़ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिहिदे सुगा ने कहा है, ''भारत से ज़मीनी रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित करने का फ़ैसला किया गया।  इस दौरे की रूपरेखा आगे तैयार होगी लेकिन अभी इस पर कोई ठोस फ़ैसला नहीं लिया गया है।''

दोनों देशों में सैन्य सहयोग पर एक समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। शिंज़ो आबे इस दौरे में पीएम मोदी के साथ मणिपुर की राजधानी इंफाल भी जाने वाले थे। पीएम आबे इंफाल के मेमोरियल हॉल जाते।

इसे 1941 के इंफाल बैटल के नाम से जाना जाता है, जहां 30 हज़ार से ज़्यादा जापानी सैनिक मारे गए थे। इसे शाही जापानी सेना के सबसे ख़राब ऑपरेशन के तौर पर देखा जाता है। यह भी कहा जा रहा था कि पीएम मोदी से शिंज़ो आबे आरसीईपी में शामिल नहीं होने के फ़ैसले पर विचार करने के लिए कह सकते थे।

अभी एक महीने पहले ही जापान ने कहा था कि अगर भारत आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) में शामिल नहीं होता है तो जापान भी इसका हिस्सा नहीं बनेगा। 

 

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