कासगंज सांप्रदायिक दंगा का सच क्या है?

 29 Jan 2018 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )

गणतंत्र दिवस के मौके पर कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा हुई। इस सांप्रदायिक दंगा का सच क्या है? जानना जरूरी है। मुस्लिम गणतंत्र दिवस के मौके पर वीर अब्दुल हमीद चौक पर तिरंगा झंडा फहराने जमा हुए थे, हिंदुओं ने मांगा रास्ता और बिगड़ बात गई।

यह हिंसा केवल तिरंगा यात्रा के लिए रास्ता न देने के लिए हुई थी क्योंकि दूसरे पक्ष के लोग तिरंगा फहराने के लिए सड़कों पर कुर्सी लगा रहे थे।

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और इस घटना के चश्मदीदों ने बताया कि अनाधिकृत मोटरसाइकिल पर निकली तिरंगा यात्रा कासगंज के बद्दू नगर पहुंची, जिसने बाद में साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था। एक स्थानीय निवासी के मुताबिक, मोटरसाइकिल पर रैली कर रहे लोगों ने कुर्सी हटाने के लिए कहा ताकि वे वहां से निकल सके।

वकील और स्थानीय निवासी मोहम्मद मुनाज़ीर रफी ने कहा, ''वे मुस्लिम विरोधी नारे लगा रहे थे। हमने उनसे आग्रह किया कि पहले हमारा गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम खत्म होने दें, लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे और वहां से नहीं हटे।''

रफी ने कहा, ''मैंने गणतंत्र दिवस मनाने के लिए 200 रुपए का अपनी तरफ से योगदान दिया था। मैं सुबह घर से कासगंज कोर्ट के लिए निकल गया था, जहां पर तिरंगा फहराने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जब मैं वापस आया तो हमारे स्थानीय इलाके में लोग गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के लिए कुर्सी लगा रहे थे। इसी दौरान अचानक 50-60 लोगों का एक ग्रुप बाइक पर वहां पहुंचा और कुर्सी हटाने के लिए कहने लगा।''

रफी ने कहा, ''हमने उनसे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वहां कई लोग इकट्ठे हो गए और धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद वे लोग अपनी बाइक लेकर वहां से निकल गए। मैंने कासगंज पुलिस को फोन किया और उन्हें घटना की जानकारी दी। इसी प्रकार की एक रैली पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित की गई थी, लेकिन उस समय ऐसा कुछ नहीं हुआ था। हम देशभक्त हैं, लेकिन अभी हमें देशद्रोहियों की तरह प्रदर्शित किया जा रहा है।''

कासगंज एडिशनल एसपी पवित्र मोहन त्रिपाठी के अनुसार, पुलिस ने दोनों पक्षों को अलग कराया था। उन्होंने कहा, बाइक सवार लोग फिर से एक जगह इकट्ठा हुए और तेहसील रोड के चक्कर लगाने लगे। वहां एक अन्य मुस्लिम बहुल इलाके के लोगों ने सोचा कि वे लोग प्रतिशोध की भावना से वहां चक्कर लगा रहे हैं। यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई, जिसमें गोली लगने के कारण 28 साल के एक युवक की जान चली गई।

इस मामले पर बात करते हुए आईजीपी ध्रुव कांत ठाकुर ने कहा, ''जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त मुस्लिम समुदाय के लोग तिरंगा फहराने ही वाले थे।''

बता दें कि इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जहां पर करीब 60 लोगों का एक ग्रुप हाथ में तिरंगा और भगवा रंग का झंडा लिए चिल्ला रहे थे कि ''बाइक तो यहीं से जाएगी।''

 

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