ग़ज़ा में जारी इसराइली हमले पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इसराइल से क्या कहा?
शुक्रवार, 26 जनवरी 2024
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इसराइल के ख़िलाफ़ ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ नरसंहार करने के आरोपों पर शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 को आदेश जारी किया है।
दक्षिण अफ़्रीका ने पिछले साल 29 दिसंबर 2023 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में इसराइल के ख़िलाफ़ अपील दायर की थी।
इस मामले पर पिछले कुछ दिनों से सुनवाई जारी थी।
शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 को आईसीजे ने इस मामले में अपना आदेश जारी कर दिया।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि इसराइल इस संघर्ष में फ़लस्तीनियों को नुकसान से बचाने की दिशा में हर संभव प्रयास करे।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने कहा है कि इसराइल ये सुनिश्चित करे कि इसराइली सेना जेनोसाइड के तहत आने वाली गतिविधियों को अंजाम न दे।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने कहा है कि इसराइल ग़ज़ा में नरसंहार के लिए उकसाने की श्रेणी में आने वाले किसी भी सार्वजनिक बयान को रोके और उस पर सज़ा तय करे।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के फैसले पर दक्षिण अफ़्रीका ने ख़ुशी जताई, इसराइल ने क्या कहा?
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस की ओर से आए इस फ़ैसले पर दक्षिण अफ़्रीकी वकीलों ने ख़ुशी ज़ाहिर की है।
दक्षिण अफ़्रीका की विदेश मंत्री नालेदी पंडोर ने कहा है कि ''मैं चाहती थी कि इस आदेश में विराम शब्द शामिल हो। लेकिन जो दिशा निर्देश दिए गए हैं, उनसे संतुष्ट हूं।''
एक पत्रकार ने दक्षिण अफ़्रीका की नालेदी पंडोर से पूछा कि क्या उन्हें उम्मीद है कि इसराइल इस आदेश का पालन करेगा?
इस पर नालेदी पंडोर ने कहा कि उन्हें कभी इसकी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा संभव होगा।
वहीं, इसराइली प्रधानमंत्री नेतान्याहू के शीर्ष सलाहकार मार्क रेगेव ने कहा है कि दक्षिण अफ़्रीका अपने उद्देश्य हासिल करने में सफल नहीं हुआ।
बीबीसी के इंटरनेशनल एडिटर जेरेमी वोबेन के मुताबिक़, जज ने जो कहा है वो दक्षिण अफ़्रीकी वकीलों के लिए जीत जैसा है और इसराइल के लिए हार जैसा है।
जेरेमी वोबेन ने लिखा है - 'जज ने ऐसा नहीं कहा कि आपको संघर्ष विराम करना होगा क्योंकि इंटरनेशनल ह्यमैनेटेरियन लॉ के तहत सही परिस्थितियों और सही लीगल फ्रेमवर्क में युद्ध को क़ानूनी स्वीकार्यता हासिल है. लेकिन जज ने जो कहा है, उसका मतलब ये है कि इन दिशानिर्देशों के तहत इसराइल को अपने युद्ध लड़ने के ढंग में बड़ा बदलाव करना होगा।'
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, वेस्ट बैंक पर शासन करने वाले फ़लस्तीनी प्राधिकरण के फ़लस्तीनी मंत्री रियाद अल-मलिकी ने इस फ़ैसले पर ख़ुशी जताई है।
रियाद अल-मलिकी ने कहा है कि आईसीजे के जजों ने क़ानून और तथ्यों की पड़ताल करते हुए अंतरराष्ट्रीय क़ानून और मानवता के पक्ष में फैसला सुनाया है।
दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर क्या आरोप लगाए थे?
दक्षिण अफ्रीका ने आईसीजे में दायर 84 पन्नों की अपनी अपील में कहा था कि इसराइल की कार्रवाई की प्रकृति जनसंहार की है क्योंकि उनकी मंशा ग़ज़ा में फ़लस्तीनी लोगों की अधिक से अधिक तबाही है।
इसमें कहा गया था कि जनसंहार की कार्रवाई में फ़लस्तीनी लोगों की हत्या, गंभीर मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंचाना और ऐसे हालात पैदा करना शामिल है, जिसका उद्देश्य "सामूहिक रूप से उनकी तबाही है।
आईसीजे में दायर अपील के अनुसार, इसराइली अधिकारियों के बयानों में भी जनसंहार की मंशा झलकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ ऑस्ट्रेलिया में क़ानून की लेक्चरर जूलियट एम के मुताबिक़, दक्षिण अफ़्रीका की याचिका 'बहुत व्यापक' और 'बहुत ध्यान से लिखी' गई थी।
नरसंहार क्या होता है?
इस शब्द को साल 1943 में यहूदी पोलिश (पोलैंड से जुड़े) वकील राफ़ेल लेमकिन ने इज़ाद किया था। उन्होंने ग्रीक शब्द जेनोस, जिसका अर्थ नस्ल या कबीले से होता है, को लैटिन शब्द साइड (हत्या) से जोड़ा था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के सामूहिक नरसंहार की बर्बरता देखकर डॉ लेमकिन ने अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत जेनोसाइड को अपराध ठहराने के लिए अभियान चलाया।
होलोकॉस्ट में डॉ लेमकिन के भाई को छोड़कर उनके परिवार के हर सदस्य की मौत हो गयी थी।
डॉ लेमकिन के प्रयासों के चलते दिसंबर 1948 में यूनाइटेड नेशंस जेनोसाइड कन्वेंशन को स्वीकार किया गया जो जनवरी 1951 से अमल में आया।
यूनाइटेड नेशंस जेनोसाइड कन्वेंशन के आर्टिकल - 2 में राष्ट्रीय, नस्लीय, सांस्कृतिक या धार्मिक समूह को आंशिक या पूरी तरह नष्ट करने के इरादे से किए गए इन कार्यों को जेनोसाइड के रूप में परिभाषित किया गया है -
- एक समूह के सदस्यों को मारना।
- एक समूह के सदस्यों को गंभीर शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुंचाना।
- किसी समूह को जानबूझकर ऐसी स्थितियों में जीने के लिए मजबूर किया जाना जिससे उनका आंशिक या समूल शारीरिक नुकसान हो।
- ऐसे कदम उठाना जिनका मकसद किसी समूह में बच्चों को जन्म लेने से रोकना हो।
- किसी एक समूह के बच्चों को दूसरे समूह में जबरन भेजा जाना।
- कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने वाले सभी सदस्य देशों की ये सामान्य ज़िम्मेदारी है कि वे जेनोसाइड को होने से रोकें और ऐसा करने वालों को सज़ा दें।
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