नागरिकता संशोधन क़ानून की अधिसूचना जारी होने पर शरद पवार ने क्या कहा?

 12 Mar 2024 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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नागरिकता संशोधन क़ानून की अधिसूचना जारी होने पर शरद पवार ने क्या कहा?

मंगलवार, 12 मार्च 2024

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) की अधिसूचना जारी किए जाने को भारत में संसदीय लोकतंत्र पर हमला बताया है।

साल 2019 में केंद्र सरकार के संशोधित नागरिकता क़ानून यानी सीएए को संसद में पारित किया गया था। चार साल बाद केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।

इस क़ानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। लेकिन इस कानून में मुसलमान शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देने का प्रावधान है।

शरद पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए इस पर कहा, "भारतीय चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की घोषणा करने वाला है और इससे कुछ दिन पहले इस तरह का फ़ैसला संसदीय लोकतंत्र पर हमला है। हम इसकी निंदा करते हैं।''

सीएए जब 2019 में लाया गया था तो इसे लेकर देश (भारत) के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए गए। समाजिक कार्यकर्ता, नेता और समाज के एक तबके का कहना था कि ये क़ानून 'खुले तौर पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है जो संविधान की आत्मा के विपरीत है'।

एनसीपी ने अपने बयान में कहा है कि सीएए की अधिसूचना जारी करने का फ़ैसला इलेक्टोरल बॉन्ड से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश है।

ये फ़ैसला उसी दिन किया गया है कि जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की याचिका को खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला बरकरार रखा है।

सोमवार, 11 मार्च 2024 को भारत के सुप्रीम कोर्ट की एसबीआई की याचिका खारिज करने के बाद मंगलवार, 12 मार्च 2024 की शाम पांच बजे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी भारत के केंद्रीय चुनाव आयोग को दे दी है। 15 मार्च 2024 तक ये जानकारी चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर जारी करनी है।

इलेक्टोरल बॉन्ड वो तरीका है जिससे कोई शख़्स, बिजनेस घराने राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं। अब तक नियम था कि बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

अब एसबीआई को अप्रैल 2019 से खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ असम में कई संगठनों का विरोध-प्रदर्शन शुरू

मंगलवार, 12 मार्च 2024

सोमवार, 11 मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना जारी कर दी। साल 2019 में पारित हुए इस कानून को लोकसभा के चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले नोटिफाई किया गया है।

अधिसूचना जारी होने के बाद असम में सीएए कानून के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

सीएए क़ानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए प्रताड़ित शरणार्थियों (हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों) को नागरिकता दी जाएगी। लेकिन इस कानून में मुसलमान शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देने का प्रावधान है।

समाजिक कार्यकर्ता, नेता और समाज के एक तबके का कहना था कि ये क़ानून 'खुले तौर पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है जो संविधान की आत्मा के विपरीत है'।

साल 1979 में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें डिपोर्ट किए जाने की मांग लेकर छह साल तक आंदोलन चलाने वाले ऑल असम स्टूडेंट यूनियन यानी एएएसयू ने कहा कि वह 'अदालत के अंदर और बाहर इस कानून के ख़िलाफ़ लड़ेगा'।

एएएसयू और 30 ग़ैर-राजनीतिक जनजातीय दल ने सोमवार, 11 मार्च 2024 को इस क़ानून की कॉपियां जलायी और असम में कई जगह इसे लेकर प्रदर्शन किए गए।

16 पार्टियों के संगठन यूनाइटेड अपोज़िशन फोरम, असम यानी यूओएफ़ए ने भी मंगलवार, 12 मार्च 2024 को राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अधिसूचना जारी होने के बाद से असम में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

असम के सभी पुलिस स्टेशनों को अलर्ट पर रखा गया है। शहरों के हर मेन रोड पर बैरिकेड लगाए गए हैं।

 

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