संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि नया क़ानून बुनियादी रूप से भेदभाव करने वाला है।
मानवाधिकारों की स्थिति पर नज़र रखने वाली संस्था यूएनएचसीआर की ओर से शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा गया- "हम इस बात से चिंतित हैं कि भारत के नए नागरिकता संशोधन क़ानून की प्रकृति मूल रूप से भेदभाव करने वाली है।''
संस्था ने कहा है कि नया क़ानून अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में दमन से बचने के लिए आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात करता है मगर मुसलमानों को ये सुविधा नहीं देता।
यूएनएचसीआर ने लिखा है सारे प्रवासियों को, चाहे उनकी परिस्थिति कैसी भी हो, सम्मान, सुरक्षा और उनके मानवाधिकार हासिल करने का अधिकार है।
यूएनएचसीआर के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में उम्मीद जताई गई है कि सुप्रीम कोर्ट नए क़ानून की समीक्षा करेगा और इस बात की सावधानी से समीक्षा करेगा कि ये क़ानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों को लेकर भारत के दायित्वों के अनुरूप है या नहीं।
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