भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी विवादों में फंस गई है।
उनकी कंपनी टेम्पल इन्टरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर साल 2015-16 में 16 हजार गुना बढ़ा है।
यह बढ़ोत्तरी तब हुई, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और उनके पिता अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए।
इससे पहले टेम्पल इन्टरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर न के बराबर था।
'द वायर' के मुताबिक, जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में उछाल की वजह 15.78 करोड़ रुपये का अनसेक्योर्ड लोन है जिसे राजेश खंडवाल की KIFS फिनांशियल सर्विसेज फर्म ने उपलब्ध कराया है, लेकिन हैरत की बात ये है कि लोन देने वाली KIFS फिनांशियल सर्विसेज ने जिस साल जय शाह की कंपनी को लोन दिया, उस साल उसकी कुल आय 7 करोड़ रुपये थी।
दूसरी बड़ी बात आरओसी के दस्तावेज से यह बात सामने आई है कि KIFS फिनांशियल सर्विसेज की एनुअल रिपोर्ट में टेम्पल इन्टरप्राइजेज को दिए गए 15.78 रुपये के अनसेक्योर्ड लोन का कोई जिक्र नहीं है।
बता दें कि राजेश खंडवाल बीजेपी के राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज के टॉप एग्जिक्यूटिव परिमल नथवानी के समधी हैं।
जय शाह की कंपनी की बैलेंस शीट में बताया गया है कि मार्च 2013 और मार्च 2014 तक उनकी कंपनी में कुछ खास कामकाज नहीं हुए और इस दौरान कंपनी को क्रमश: कुल 6,230 रुपये और 1,724 रुपये का घाटा हुआ।
लेकिन जैसे ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और उनके पिता बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है।
साल 2014-15 के दौरान उनकी कंपनी को कुल 50,000 रुपये की इनकम पर कुल 18,728 रुपये का लाभ हुआ। मगर 2015-16 के वित्त वर्ष के दौरान जय की कंपनी का टर्नओवर लंबी छलांग लगाते हुए 80.5 करोड़ रुपये का हो गया। यह 2014-15 के मुकाबले 16 हजार गुना ज्यादा है।
जय शाह के वकील ने 'द वायर' को बताया है कि राजेश खंडवाल शाह परिवार के पुराने मित्र हैं। इसके अलावा वो पिछले कई सालों से शाह परिवार के शेयर ब्रोकिंग का कामकाज देख रहे हैं। इसके अलावा उनकी एन बी एफ सी फर्म पिछले कई सालों से जय शाह और जीतेंद्र शाह के बिजनेस को लोन देते रहे हैं।
दस्तावेजों से यह भी खुलासा हुआ है कि साल 2015 में राजेश खंडवाल और जय शाह ने मिलकर सत्वा ट्रेडलिंक नाम का लिमिटेड लायबलिटी पार्टनरशिप (एल एल पी) बनाया था, लेकिन जल्द ही उसे बंद कर दिया गया।
जय शाह की तरफ से उनके वकील ने 'द वायर' को बताया कि दोनों ने मिलकर एल एल पी खोला था, लेकिन बाजार में विपरीत परिस्थितियों की वजह से उसमें कोई कारोबार नहीं हो सका। इसके बाद उसे बंद कर दिया गया और आरओसी के रिकॉर्ड से भी हटवा दिया गया।
आरओसी के दस्तावेजों से यह भी खुलासा हुआ है कि जय की कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसकी आय का 95 फीसदी कृषि उत्पादों की बिक्री से आया है, जबकि उनकी कंपनी के पास न तो कोई स्टॉक की डिटेल है और न ही इन्वेंटरीज। इसके अलावा उनकी कंपनी की चल-अचल संपत्ति का भी कोई विवरण नहीं है।
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