सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इंस्टैंट ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद आज से भारत में मुस्लिम महिलाएं धर्मगुरुओं द्वारा जबरदस्ती थोपी गई इस गैर इस्लामिक कुप्रथा से आज़ाद हो गई। भले ही भारत 70 साल पहले आज़ाद हुआ हो, लेकिन वास्तव में भारतीय मुस्लिम महिलाएं आज के दिन ही आज़ाद हुई हैं। अब भारत की केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कानून बनाकर इस कुप्रथा को हमेशा के लिए दफ़न कर दे ताकि अब भारत की किसी बेटी को 'सायरा बनो' नहीं बनना पड़े।
ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को इस्लाम और देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत करार देते हुए कहा कि इससे तलाक के नाम पर मुसलमान औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी पर रोक लगने की उम्मीद है।
ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने पी टी आई से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम समाज के लिये ऐतिहासिक है। यह देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत है, लेकिन उससे भी ज्यादा अहम यह है, कि यह इस्लाम की जीत है। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में तीन तलाक को हमेशा के लिये खत्म कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब तक तीन तलाक की वजह से मुस्लिम औरतों पर जुल्म होते रहे हैं, जबकि इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं है। यह सिर्फ कुछ तथाकथित धर्मगुरुओं की बनायी हुई अन्यायपूर्ण व्यवस्था थी जिसने लाखों औरतों की जिंदगी बरबाद की है। इस फैसले से मुस्लिम औरतों को एक नई उम्मीद मिली है।
शाइस्ता ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत से छेड़छाड़ किये बगैर छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाये जाने की बात कही है। मुझे विश्वास है कि यह कानून बिना किसी दबाव के बनेगा और मुस्लिम महिलाओं को खुशहाली का रास्ता देगा।''
तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ''हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी। हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने। मैं संसद से गुजारिश करता हूं कि वह इंसानियत से जुड़े इस मसले पर नैर्सिगक न्याय के तकाजे के अनुरूप कानून बनाए।''
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