बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में संजय की जल्द रिहाई के फैसले का औचित्य बताने को कहा है।
संजय दत्त को 12 मार्च 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में अवैध हथियार रखने के लिए पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। दत्त को 1993 में गिरफ्तार किया गया था। वह विचाराधीन कैदी के रूप में पहले ही 18 महीने की सजा काट चुके थे।
मई 2013 में अपनी बाकी बची 42 महीने की सजा काटने के लिए उन्हें जेल भेजा गया। सजा पूरी होने के 8 महीने पहले, फरवरी 2016 में पुणे के यरवदा जेल से उन्हें अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा कर दिया गया।
जस्टिस आरएम सावंत और साधना जाधव की बेंच ने पुणे निवासी प्रदीप भालेकर की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए सरकार से इस संबंध में एक एफिडेविट फाइल करने को कहा है। अदालत ने उन बिंदुओं या कारणों का ब्योरा देने को कहा है जिसके आधार पर संजय दत्त को रियायत दी गई।
जस्टिस सावंत ने पूछा, ''क्या डीआईजी जेल से राय ली गई थी या जेल अधीक्षक ने सीधे ही राज्यपाल को सिफारिश भेज दी थी? क्या अधिकारियों ने यह कैसे तय किया कि दत्त का व्यवहार अच्छा है? जब वह (संजय) आधे वक्त तक परोल से बाहर रहे तो उन्हें (अधिकारियों) ऐसे किसी आकलन का समय कैसे मिल गया?'' अदालत सप्ताह भर के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी।
यरवदा जेल से रिहा होने के बाद संजय ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ''मुझे आर्म्स एक्ट में सजा हुई है, बम ब्लास्ट केस में नहीं। इसलिए मेरा उससे नाम न जोड़ें। मेरा नाम संजय दत्त है, मैं आतंकवादी नहीं हूं। मुझे सबसे ज्यादा राहत उस वक्त मिली, जब कोर्ट ने कहा कि तुम आतंकी नहीं है। मेरे पिता सारी जिंदगी यह बात सुनना चाहते थे।''
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