संसद की स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा, लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं?

 06 Jan 2018 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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भारत में संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय रेल से पूछा है कि लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? भारतीय रेल पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए। समिति के अनुसार, महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेनों में 2012 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है। यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है। 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश: 29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित किया है। भारतीय रेल की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है। समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? वहीं दूसरी तरफ, भारतीय रेल की ड्रीम परियोजना 'स्वर्ण प्रोजेक्ट' के तहत शताब्दी ट्रेनों का कायाकल्प किया जा रहा है। इन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराने के लिए काफी काम हो रहा है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली शताब्दी ट्रेन के लिए सोमवार को 25 नवीनीकृत और सर्वसुविधायुक्त कोच लॉन्च किए गए हैं। इन सभी कोच की बनावट बेहद ही खास है, इसमें स्वच्छता और सुंदरता पर काफी ध्यान दिया गया है।

 

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