भारत में सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों से धोखाधड़ी करने और न्यायालय के साथ ओछा खेल खेलने के लिए आम्रपाली समूह को बुधवार को फटकार लगाई। साथ ही उसकी 40 फर्म के सारे बैंक खाते तथा चल संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू. ललित की पीठ ने आम्रपाली समूह को निर्देश दिया कि वह वर्ष 2008 से आज तक के अपने सारे बैंक खातों का विवरण पेश करे। न्यायालय ने इस समूह की 40 फर्म के सभी निदेशकों के बैंक खाते जब्त करने का भी आदेश दिया है।
शीर्ष अदालत ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष को न्यायालय की मंजूरी के बगैर ही समूह के मामलों में कार्यवाही करने को लेकर तलब किया है।
शीर्ष अदालत ने 17 मई को कानूनी लड़ाई में उलझे आम्रपाली समूह की अटकी हुई 12 परियोजनाओं को छह से 48 महीने के भीतर पूरा करने के लिए तीन को-डेवलपर को अपनी मंजूरी दी थी। न्यायालय ने इन परियोजनाओं को पूरा करने वाले को-डेवलपर को भुगतान करने के लिए आम्रपाली समूह को चार सप्ताह के भीतर 250 करोड़ एक एस्क्रो खाते में जमा करने का निर्देश दिया था। समूह की छह परियोजनाओं से 27,000 से 28,000 मकान खरीदारों को लाभ मिलेगा।
शीर्ष अदालत को आम्रपाली समूह द्वारा 2,700 करोड़ रुपए से भी अधिक की रकम को अन्यत्र ले जाने का 10 मई को पता चला था और इस संबंध में कंपनी द्वार किए गए वित्तीय कारोबारों का विवरण और इनके बैंक खातों के विवरण मांगे थे।
पीठ ने मकान खरीदारों की स्थिति का जिक्र करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें इसी तरह से अधर में नहीं छोड़ा जा सकता। न्यायालय ने 25 अप्रैल को कहा था कि वह आम्रपाली समूह की परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने की इच्छुक एक कंपनी की माली हालत और उसकी विश्वसनीयता के बारे में आश्वस्त होना चाहता है। इस कंपनी ने पहले एक हलफनामे पर न्यायालय को सूचित किया था कि वह इन परियोजनाओं को पूरा करने और 42,000 से अधिक मकान खरीदारों को समयबद्ध तरीके से फ्लैट का कब्जा देने की स्थिति में नहीं है।
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