नेटो के महासचिव जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।
उन्होंने रविवार, 2 अक्टूबर 2022 को कहा, ''परमाणु हथियारों को लेकर हो रही बयानबाजी ख़तरनाक है और यह बड़ी लापरवाही है और किसी भी तरह के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध के तरीक़े को बदल सकता है।''
नेटो महासचिव ने कहा, ''परमाणु युद्ध कभी न तो लड़ा जाना चाहिए और न ही जीता जा सकता है। ये संदेश स्पष्ट रूप से नेटो और उसके सहयोगी रूस को देना चाहते हैं।''
स्टॉलटेनबर्ग का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जब यूक्रेन में अपनी सेना पर बढ़ते दबाव और कई इलाकों में हार के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के संकेत दिए हैं।
रूस के लोग ही कर रहे अपनी सेना की आलोचना
पश्चिमी देशों के नेता और सरकारें यह मानती हैं कि शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 के बाद से यह ख़तरा और बढ़ा है, जब राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में चार इलाक़ों को आधिकारिक तौर पर रूस का हिस्सा घोषित कर दिया।
वहीं यूक्रेन का दावा है कि उसकी सेनाओं ने पूर्व में दोनेत्स्क प्रांत के लाइमन इलाके पर फिर से कब्जा कर लिया है। लाइमन को रेलवे हब के रूप में जाना जाता है।
लाइमन में रूसी सेना की हार के कारण रूस के सैन्य नेतृत्व की काफ़ी आलोचना हो रही है। इसके बाद पुतिन के कुछ करीबियों ने यूक्रेन पर और मज़बूत हमला करने की मांग शुरू कर दी है। कुछ कट्टर राष्ट्रवादी कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की वकालत भी कर रहे हैं।
रूस को चेतावनी
रूसी नेता रमज़ान कादिरोव ने शनिवार, 1 अक्टूबर 2022 को कहा कि युद्ध में रूस की रणनीति में बदलाव की जरूरत है। रूस को ''सीमा वाले इलाकों में मार्शल लॉ लागू करने और यूक्रेन पर कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है।''
टैक्टिकल परमाणु हथियार कम असरदार होते हैं। ये पारंपरिक परमाणु हथियारों के मुकाबले 10 फीसदी ही असर डालते हैं।
स्टॉलटेनबर्ग ने नेटो देशों के इनफ्रास्ट्रक्टर पर हमले को लेकर भी रूस को चेतावनी दी है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन लीक भी किसी साजिश के तहत हुआ है।
उन्होंने कहा कि लाइमन में जिस तरह रूस की सेना को पीछे हटना पड़ा वो यूक्रेन के साहस और बहादुरी को दिखाता है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका और नेटो के दूसरे देशों की ओर से दिए जा रहे हथियारों को भी वजह माना।
नेटो क्या है?
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था। इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे। इसे इन्होंने सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया था। तब दुनिया दो ध्रुवीय थी। एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन।
शुरुआत में नेटो के 12 सदस्य देश थे। नेटो ने बनने के बाद घोषणा की थी कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे। नेटो में शामिल हर देश एक दूसरे की मदद करेगा।
लेकिन दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद कई चीज़ें बदलीं। नेटो जिस मक़सद से बना था, उसकी एक बड़ी वजह सोवियत यूनियन बिखर चुका था। दुनिया एक ध्रुवीय हो चुकी थी। अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा था। सोवियत यूनियन के बिखरने के बाद रूस बना और रूस आर्थिक रूप से टूट चुका था।
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