सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना की परिकल्पना भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल ने की थी। बाद में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना की नींव रखी थी।
लेकिन मोदी ने अपने सम्बोधन में सरदार पटेल का नाम तो लिया, लेकिन सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना की नींव रखने वाले भारत के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम लेना भूल गए।
सवाल उठता है कि क्या ऐसा मोदी से अनजाने में हुआ? सच्चाई यह है कि मोदी पिछले कई सालों से कहते आ रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार ने 60 सालों में कोई काम नहीं किया ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण करते समय पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम किस मुँह से लेते।
वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 3 साल के शासन में कोई काम नहीं किया है।
अभी तक कश्मीर में जवाहर टनल (कांग्रेस के मनमोहन सिंह सरकार का प्रोजेक्ट), ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे लम्बा नदी पुल (कांग्रेस के मनमोहन सिंह सरकार का प्रोजेक्ट), सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना (कांग्रेस के पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार का प्रोजेक्ट) सहित कई परियोजनाओं का मोदी ने लोकार्पण किया। वे सभी कांग्रेस सरकार की देन है।
अगर आरएसएस और बीजेपी की भाषा में कहा जाए तो मोदी ने केवल तस्वीर खिंचवाने का काम किया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा नदी पर बनने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना सरदार सरोवर नर्मदा बांध का आज लोकार्पण करते हुए पिछले सात दशकों में इस परियोजना में आई तमाम बाधाओं का उल्लेख किया और उम्मीद जताई कि यह परियोजना नए भारत के निर्माण में सौ करोड़ भारत वासियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।
मोदी ने इस बांध परियोजना के लोकार्पण के बाद यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व बैंक सहित कई पक्षों ने सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न की।
उन्होंने कहा कि उनके पास हर उस आदमी का कच्चा चिट्ठा है, जिसके कारण इस बांध परियोजना में विलंब हुआ।
उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी आया, जब विश्व बैंक ने इस परियोजना के लिए ऋण देने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए वह दो लोगों के आभारी हैं- सरदार वल्लभ भाई पटेल और बाबा साहेब अंबेडकर।
लेकिन सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना की नींव रखने वाले भारत के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम लेना भूल गए।
उन्होंने कहा, ''भारत के लौह पुरुष की आत्मा आज जहां कहीं भी होगी, वह हम पर ढेर सारे आशीर्वाद बरसा रही होगी।''
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने एक दिव्य दृष्टि की तरह इस गुजरात क्षेत्र में सिंचाई और जल संकट को देखते हुए नर्मदा पर बांध की परिकल्पना की थी।
मोदी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने मंत्री परिषद में रहते हुए देश के विकास के लिए तमाम योजनाओं की परिकल्पना की थी।
उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों महापुरुष अधिक समय तक जीवित रहते तो देश को उनकी प्रतिभा का और भी लाभ मिलता।
नर्मदा बांध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह बांध आधुनिक इंजीनियरिंग विशेषज्ञों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एक विषय होगा, साथ ही यह देश की ताकत का प्रतीक भी बनेगा।
उन्होंने कहा कि पर्यावरणविदों तथा कुछ अन्य लोगों ने इसका विरोध किया था। साथ ही विश्व बैंक ने इस परियोजना के लिए धन देने से मना कर दिया था।
उन्होंने कहा कि इस बांध परियोजना से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करोड़ों किसानों का भाग्य बदलेगा।
नर्मदा बांध परियोजना में हुए विलंब का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इसे राजनीति से नहीं जोड़ रहे हैं अन्यथा उनके पास उन सभी लोगों का कच्चा चिट्ठा है जिन्होंने इस परियोजना में बाधाएं उत्पन्न की, आरोप लगाए और षडयंत्र किया।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब-जब नर्मदा नदी का सम्मान करने वाली सरकारे आईं, तब-तब इस परियोजना के कार्य में काफी गति आई और बाकी समय इस परियोजना का काम तेजी से नहीं बढ़ा।
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नर्मदा बांध के लिए अनशन भी किया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण किया। इस बांध की उंचाई को 138..68 मीटर तक बढ़ाया गया है।
सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना की परिकल्पना भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल ने 1946 में की थी। बाद में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस परियोजना की नींव रखी थी।
इसके बाद से इस परियोजना का काम पिछले सात दशकों से रूक-रूक कर चलता रहा। इस बांध परियोजना से पानी और यहां उत्पादित होने वाली बिजली से चार राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लाभ मिलेगा।
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