रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस साल की अपनी आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। आरबीआई के इस फैसले के बाद सरकार की सस्ते कर्ज की उम्मीद को झटका लगा है।
मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे में बढ़ोत्तरी के जोखिम के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर को ज्यों का त्यों बरकार रखा।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष के अंत तक के लिए मुद्रास्फीति के अपने पिछले अनुमानों को बढ़ाकर 4.3-4.7 प्रतिशत के दायरे में कर दिया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एम पी सी) ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर रेपो को 6 प्रतिशत पर यथावत रखा। रिवर्स रेपो दर भी 5.75 प्रतिशत पर ही रखी गई है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसने महंगाई दर पर अंकुश के अपने मध्यकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दर में बदलाव नहीं करने का निर्णय किया है। बैंक का लक्ष्य वृद्धि को समर्थन देते हुये खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखना है।
केंद्रीय बैंक ने हालांकि, चालू वित्त वर्ष के अपने आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है, लेकिन तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को पहले के 4.2-4.6 से बढ़ाकर 4.3-4.7 प्रतिशत कर दिया।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले अगस्त में मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। रिवर्स रेपो दर भी तब इतनी ही घटकर 5.75 प्रतिशत कर दी गई थी।
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