ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, बाबरी मस्जिद हमेशा मस्जिद रहेगी

 05 Aug 2020 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
POSTER

लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लीमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि बाबरी मस्जिद थी और रहेगी। पिछले साल नवंबर में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजा का कार्यक्रम हो रहा है।

इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं। एक ओर जहाँ कई नेता और सांसद भूमि पूजा का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कई हलकों से विरोध की आवाज़ें भी आ रही हैं।

बुधवार सुबह ओवैसी ने ट्वीट कर कहा- बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी इंशाअल्लाह। उन्होंने अपने ट्वीट में #BabriZindaHai का भी इस्तेमाल किया।

वहीं एक दिन पहले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि बाबरी मस्जिद हमेशा एक मस्जिद रहेगी। इस बयान को ट्वीट करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखा है- हागिया सोफ़िया हमारे लिए बड़ा उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक तरीक़े से ज़मीन पर अधिकार करना और बहुसंख्यक के तुष्टिकरण वाले फ़ैसले से इसका दर्जा बदला नहीं जा सकता। दिल तोड़ने की ज़रूरत नहीं। स्थितियाँ हमेशा के लिए एक जैसी नहीं रहती हैं।

हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बाबरी मस्जिद की तुलना हागिया सोफ़िया से करने को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना भी हो रही है। लोग बोर्ड के बयान को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी बता रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस्तांबुल में ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने का ऐलान किया था।

हागिया सोफ़िया का लगभग 1,500 साल पहले एक ईसाई चर्च के रूप में निर्माण हुआ था और 1453 में इस्लाम को मानने वाले ऑटोमन साम्राज्य ने विजय के बाद इसे एक मस्जिद में बदल दिया था।

हागिया सोफ़िया को 1934 में आधुनिक तुर्की के निर्माता कहे जाने वाले मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित करने के बाद, मस्जिद से म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया था।

भारत के सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला

अयोध्या मामले में आए फ़ैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाख़िल की थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पाँच एकड़ ज़मीन देने का निर्देश दिया था।

हालाँकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि वो अयोध्या में मस्जिद के लिए अलग ज़मीन स्वीकार नहीं करेगा।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी। इसके बाद देश में कई जगह सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी और क़रीब 2000 लोग मारे गए थे। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों का दावा था कि बाबरी मस्जिद राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी और यहीं राम का जन्म हुआ था।

पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय खंडपीठ ने रामलला को ज़मीन देने का फ़ैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का निर्देश दिया था। साथ ही मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं और पाँच एकड़ ज़मीन देने का आदेश भी दिया था।

इस बीच सीपीआई-एमएल ने पाँच अगस्त को विरोध दिवस मनाने की बात कही है। पार्टी ने एक बयान जारी करके कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक धार्मिक समारोह का इस्तेमाल राजनीतिक मंच के रूप में कर रहे हैं। पार्टी का कहना है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने की जगह पर ऐसा करना एक अपराध है।

 

(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें

शेयरिंग के बारे में

विज्ञापन

https://www.ibtnkhabar.com/

 

https://www.ibtnkhabar.com/

अल जज़ीरा टीवी लाइव | अल जज़ीरा इंग्लिश टीवी देखें: लाइव समाचार और समसामयिक मामले


https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

Copyright © 2024 IBTN World All rights reserved. Powered by IBTN Media Network & IBTN Technology. The IBTN is not responsible for the content of external sites. Read about our approach to external linking