गुजरात को छोड़कर पूरे भारत के रोजगार केंद्रों द्वारा 2015 में नौकरी दिलाने का औसत 0.57 प्रतिशत रहा यानी रोजगार केंद्र में नौकरी की तलाश में पंजीकरण कराने वाले हर 500 में से केवल तीन को रोजगार मिल पाया। गुजरात में ये औसत पिछले कई सालों से 30 प्रतिशत से अधिक रहा है।
गुजरात और गोवा को छोड़ दें तो भारत का कोई भी राज्य एक प्रतिशत लोगों (अभ्यर्थियों) को भी रोजगार नहीं दिला पाया। हालांकि साल 2015 के पहले नौ महीने में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन काम करने वाले रोजगार केंद्रों में पंजीकरण कराने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था। पिछले चार सालों से रोजगार केंद्रों में पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
नेशनल करियर सर्विस के तहत पूरे भारत में चलने वाले रोजगार केंद्रों में 53 सेक्टरों में तीन हजार लोगों को प्राइवेट और सरकारी नौकरी दिलायी गयी। नेशनल करियर सर्विस के पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस दौरान कुल 14.85 लाख लोगों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया था। पोर्टल नौकरी मेला भी लगवाता है जिससे नियोक्ता और अभ्यर्थी आपस में संवाद कर सकें। श्रम मंत्रालय के सालाना रिपोर्ट के अनुसार, रोजगार केंद्र द्वारा दिलाई गई ज्यादातर नौकरियां प्राइवेट सेक्टर की थीं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा साल 2012 से सितंबर 2015 तक के आंकड़े इकट्ठा किए गए हैं।
रोजगार केंद्र द्वारा नौकरी दिलाने के मामले में गुजरात देश में अव्वल है, लेकिन नौकरी खोजने वालों की संख्या सबसे ज्यादा तमिलनाडु में रही। तमिलनाडु में साल 2015 के पहले नौ महीनों में रोजगार केंद्र में 80 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया। वहीं गुजरात में केवल 6.88 लाख लोगों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया।
नौकरी के लिए पंजीकरण के मामले में तमिलनाडु के बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र का स्थान रहा। 2015 में नौकरी के लिए पंजीकरण कराने वाले करीब 60 प्रतिशत उम्मीदवार (2.71 करोड़) इन पांच राज्यों के थे। इन पांच राज्यों में 27,600 लोगों को रोजगार केंद्र से नौकरी मिली। यानी इन राज्यों में 0.1 प्रतिशत लोगों को रोजगार केंद्रों के माध्यम से रोजगार मिल सका।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में रोजगार केंद्र में पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ी है। साल 2012 में 4.4 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया था तो साल 2014 में 4.82 करोड़ लोगों ने। वहीं साल 2015 के पहले नौ महीनों में 4.48 करोड़ लोग पंजीकरण करा चुके थे। अगर शुरुआती नौ महीने के औसत के आधार पर गणना करें तो साल 2015 में रोजगार केंद्रों में पंजीकरण कराने वालों की संख्या करीब 5.98 करोड़ हो सकती है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में नौकरी की तलाश करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है तो नौकरी मिलने की दर कम होती जा रही है।
नौकरी दिलाने के मामले में गुजरात का रिकॉर्ड अविश्वसनीय है। साल 2015 के नौ महीनों में रोजगार केंद्रों द्वारा दिलाए गए 2.53 लाख नौकरियों में से 83.3 प्रतिशत (2.11 लाख) गुजरात में दिलाई गईं। अगर बात केवल संख्या की करें तो नौकरी दिलाने के मामले में दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र रहा, जहां 2015 के पहले नौ महीनों में 13,400 लोगों को नौकरी दिलायी।
पूरे भारत में कुल 997 रोजगार केंद्र हैं। सबसे ज्यादा 99 रोजगार केंद्र उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश के बाद केरल (89), पश्चिम बंगाल (77), हरियाणा (59), असम (52), मध्य प्रदेश (49), गुजरात (48), छ्त्तीसगढ़ (47) और महाराष्ट्र (47) का स्थान है। गोवा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दादर एवं नगर हवेली, लक्षद्वीप और पुदुच्चेरी में केवल एक-एक रोजगार केंद्र हैं।
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