बाबरी मस्जिद के ध्वंस के 25 वीं बरसी पर लेफ्ट पार्टी का मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च

 07 Dec 2017 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
POSTER

6 वामपंथी पार्टियों सी.पी.आई. (एम), सी.पी.आई., ए.आई.एफ.बी., आर.एस.पी., सी.पी.आई. (एम-एल) लिब्रेशन तथा एस.यू.सी.आई. (कम्युनिस्ट) की दिल्ली राज्य इकाईयों की ओर से बाबरी मस्जिद ध्वंस की 25वीं बरसी पर आज मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च आयेाजित किया गया।

6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में जो हुआ, सिर्फ़ एक साढ़े चार सौ साल पुरानी मस्जिद के ढहाए जाने का मामला नहीं था, बल्कि संघ गिरोह (आर.एस.एस, भाजपा, बजरंग दल) द्वारा भारतीय संविधान को और उसके धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक मूल्यों को सीधे-सीधे चुनौती भी थी।

संसद मार्ग पहुंचकर मार्च एक सभा में बदल गया, सभा को सी.पी.आई. (एम) से सीताराम येचुरी; सी.पी.आई. से डी. राजा; ए.आई.एफ.बी से देवब्रत विश्वास; आर.एस.पी. से शत्रूजीत; सी.पी.आई. (एम-एल) लिब्रेशन से कविता कृष्णन तथा एस.यू.सी.आई.(कम्युनिस्ट) से रमेश शर्मा ने सम्बोधित किया।

वक्ताओं ने कहा कि आरएसएस-भाजपा द्वारा देश में झूठी अफवाहों का सहारा लेकर अलग-अलग समुदाय के लोगों के बीच नफरत के बीज बोकर दंगे भड़काए जा रहे हैं। यह साम्प्रदायिक एजेंडा जनता के आपसी सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के लिए गंभीर खतरा है। आज गौरक्षा के नाम पर लोगों को पीट-पीट कर उनकी हत्या की जा रही है तथा नवयुवकों एवं नवयुवतियों के स्वतंत्र फैसलों को लव जेहाद का नाम देकर समाज में ज़हर घोला जा रहा है। आज भारतीयता के नाम पर विज्ञान और शिक्षा का संप्रदायिकरण किया जा रहा है, यह चिंता की बात है। संघ परिवार ने पूरे देश में साम्प्रदायिक ज़हर एवं घृणा का माहौल पैदा कर दिया है। ऐसे में 6 दिसंबर को यादकर बाबरी मस्जिद का ध्वंस और सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष को मजबूत करना ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। बाबरी मस्जिद के ध्वंस व उसके अंजाम को याद करते समय यह नहीं भूलना चाहिए कि सांप्रदायिकता अंततः जनता की एकता को तोड़ने के लिए शासक वर्गों का आज़माया हुआ हथियार है। आज देश की जनता एनडीए सरकार की नव-उदारवादी नीतियों से उत्पन्न बेलगाम महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार आदि की चौतरफ़ा मार झेल रही है। इन हमलों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए हर धर्म, जाति, क्षेत्र व भाषा के मेहनतकशों की एकता निहायत ज़रूरी है। इसलिए सांप्रदायिकता से लड़ना महज़ मानवतावादी कर्तव्य ही नहीं है बल्कि भारत के ग़रीब-गुरबा की फौरी और अहम ज़रूरत भी है।

सभी वक्ताओं ने आरएसएस एवं भाजपा द्वारा साम्प्रदायिक आधार पर समाज को तोड़ने की राजनीति की कठोर शब्दों में निंदा की। वक्ताओं ने समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण बनाने तथा अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस करने का माहौल विकसित करने की ज़रूरत पर जोर दिया।

 

(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

इस खबर को शेयर करें

शेयरिंग के बारे में

विज्ञापन

https://www.ibtnkhabar.com/

 

https://www.ibtnkhabar.com/

अल जज़ीरा टीवी लाइव | अल जज़ीरा इंग्लिश टीवी देखें: लाइव समाचार और समसामयिक मामले


https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

https://www.ibtnkhabar.com/

Copyright © 2024 IBTN World All rights reserved. Powered by IBTN Media Network & IBTN Technology. The IBTN is not responsible for the content of external sites. Read about our approach to external linking