भारत में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पहली बार रोजगार को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इसके तहत फरवरी 2018 में जनवरी 2018 के मुकाबले नए नौकरियों के मौकों में 22 फीसद तक की कमी दर्ज की गई है।
जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में रोजगार के 6.04 लाख नए मामले सृजित हुए थे। फरवरी में यह 4.72 लाख ही रहा। दिसंबर के बाद इसमें वृद्धि दर्ज की गई थी। नवंबर के मुकाबले दिसंबर में भी नए रोजगार के मौकों में भी कमी दर्ज की गई थी। ई पी एफ ओ के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में रोजगार के नए अवसरों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई थी। अक्टूबर 2017 में 3.93 लाख नए कामगारों को नौकरी मिली थी। नवंबर में यह आंकड़ा 6.47 लाख तक पहुंच गया था। इससे पहले सितंबर में 4.35 लाख लोगों को नए सिरे से मौका मिला था।
ई पी एफ ओ ने उम्र के हिसाब से भी आंकड़े जारी किए हैं, ताकि विभिन्न आयुवर्ग के बारे में सटीक जानकारी मिल सके। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2017 को छोड़ कर पिछले छह महीनों में हर बार 22 से 25 वर्ष आयुवर्ग के युवाओं ने सबसे ज्यादा नौकरियां हासिल कीं।
बता दें कि रोजगार के कम होते मौकों को लेकर विपक्ष नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमलावर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बेरोजगारी को प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बना दिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने का वादा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान हर साल एक करोड़ नौकरियों के नए मौके सृजित करने की बात कही थी, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने इस वादे पर अमल नहीं किया। रोजगार के नए अवसर सृजित होने के बजाय उसमें और कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद खासकर टेक्सटाइल और रियल एस्टेट क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।
पूर्व वित्त सचिव सी एम वासुदेव ने बताया था कि आर्थिक संकेतक और राजकोषीय स्थिति मजबूत जरूर है, लेकिन संगठित विनिर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार रहित वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ''आर्थिक सुधार की दिशा में मोदी सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इनमें से जी एस टी, प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी में अधिक पारदर्शिता, सब्सिडी वितरण में सुधार, आधार कार्ड का विस्तार, बुनियादी ढांचा क्षेत्र मसलन सड़क, राजमार्ग, रेलवे, बंदरगाह, ऊर्जा क्षेत्र में निवेश, प्रयत्क्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाना प्रमुख है।'' मोदी सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिए स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी पहल भी की है। इसके अलावा मुद्रा योजना के तहत लोन देने की सुविधा भी लाई गई है।
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