बिहार में भागलपुर के कहलगाँव के बटेश्वर स्थान पर गंगा पंप नहर योजना का बांध उदघाट्न से 15 घंटे पहले टूट गया।
बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भागलपुर जिले के कहलगांव में करीब 40 साल बाद पूरी हुई बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर परियोजना का उद्घाटन करना था।
मंगलवार को पटना से प्रकाशित होने वाले कई अखबारों में इस उद्घाटन समारोह से संबंधित विज्ञापन भी प्रकाशित हुए थे। नहर परियोजना की दीवार टूटने के बाद यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस घटना के बाद ट्वीट कर नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ''जल संसाधन विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा है। मुख्यमंत्री जी इस विभाग के भ्रष्टाचार पर ना जाने क्यों चुप रहते है?''
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने तंज किया, ''नीतीश जी बताएं, 828 करोड़ की लागत से बनी इस परियोजना को भी चूहे कुतर गए हैं क्या, जो बाँध टूट गया? इसका सेहरा भी चूहों के सिर बांधना चाहिए।''
तेजस्वी यादव ने एक अन्य ट्वीट में नीतीश की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, ''CM नीतीश जी के लिए इससे बड़ी प्रशासनिक विफलता क्या होगी कि उद्घाटन से चंद घंटों पहले ही 828 करोड़ रुपये का बाँध भ्रष्टाचार रुपी गंगा में बह जाता है।''
बांध की टूट के लिए वहां के कांग्रेसी विधायक सदानंद सिंह ने इंजीनियरों और ठेकेदारों की घोर लापरवाही को जिम्मेदार करार दिया है।
राजद कार्यकर्ताओं ने इस नहर निर्माण को भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल बताई है। और इसके खिलाफ जांच की मांग को लेकर बुधवार को एक दिवसीय धरना पर बैठे है।
कांग्रेस विधायक ने तंज कसा कि करप्शन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जीरो टालरेंस कहां गया?
पीरपैंती के राजद विधायक रामविलास पासवान ने इस घटना के लिए इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत को जिम्मेदार बताया है।
बुधवार सुबह 10 बजे 40 साल से बेसब्री से इंतजार हो रही नहर का विधिवत उद्धाटन होना था। मंगलवार शाम को ट्रायल के तौर पर पंप को जैसे ही चालू कर पानी नहर में छोड़ा गया, वैसे ही कहलगांव एनटीपीसी के पास बने बांध की दीवार करीब छह फीट टूट गई और पानी का बहाव इतना तेज था कि देखते ही देखते सीआईएसएफ कालोनी की 150 मीटर दीवार बह गई।
पानी लोगों के क्वार्टर में घुस कर गया। और आसपास का इलाका जलमग्न हो गया।
मंगलवार को नहर में हुई टूट से एनटीपीसी टाउनशिप के साथ-साथ कहलगांव के सिविल जज और सब-जज के आवास में पानी प्रवेश कर गया था।
अकबरपुर और रानी लघरिया गांवों में पानी प्रवेश कर गया। वहीं कहलगांव के सत्कार चौक और मुरकटिया चौक की तरफ आने जाने वाला रास्ता भी पानी में डूब गया।
रात में ही डीएम आदेश तितमारे और एसएसपी मनोज कुमार मौके पर पहुंचे। एस डी आर एफ की टीम बचाव काम में लगाई गई। नहर के पंप को बंद कराया।
जानकारी के मुताबिक, इलाके से पानी लगभग निकल चुका है, लेकिन कुछ रास्तों पर गाद (मिट्टी) जमा हो गई है।
जल संसाधन के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बुधवार को दोपहर में फोन पर बताया कि इस बाबत न तो जांच कमिटी बनाने की जरूरत है और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पटना जाने के बाद कार्रवाई के बिंदु पर सलाह की जाएगी। नहर के पास गलत कलवर्ट बनाने की वजह से यह हालात पैदा हुए। जिसकी मरम्मत का निर्देश दिया गया है।
दो महीने के अंदर परियोजना की तमाम खामियों और रिसाव को दुरुस्त करा लेने का भरोसा प्रधान सचिव ने दिया है। पुल के पास बना कलवर्ट एनटीपीसी ने 1994-95 में बनवाया था जो बगैर एनओसी के चालू कर दिया गया।
जबकि कहलगांव एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक राकेश सैमुअल ने एनओसी लेकर ही ओवर ब्रिज चालू करने की बात पत्रकारों से कहीं।
हैरत की बात यह है कि राज्य सरकार के इंजीनियर और अधिकारियों ने ऐसे कमजोर कलवर्ट को नजरदांज कैसे कर दिया? साथ ही उद्घाटन की पूर्व संध्या पर ही ट्रायल क्यों किया गया? इन सवालों के जवाब आने बाकी हैं।
इससे पहले भी 7, 11 और 19 जुलाई को इस परियोजना के उद्घाटन की तारीख टल चुकी है।
अब तो बांध की दीवार ही टूट गई।
हालात देखने पर लगता है अभी नहर के बांध को दुरुस्त कर चालू करने में थोड़ा और वक्त लगेगा।
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