नीतीश कुमार के राज में 343 करोड़ का एनजीओ घोटाला

 12 Aug 2017 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में बैंक और एनजीओ के गठजोड़ से हुए घोटाले की रकम का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। जांच में पता चला है कि अब घोटाले की रकम बढ़कर 343 करोड़ रुपये हो गई है।

भागलपुर के एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड आरोपों के घेरे में है। इस बीच एनजीओ की सचिव और उनका पति फरार है।

हालांकि, पुलिस ने मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ट्रेजरी से मिलकर फर्जी निकासी की गई है।

अब सहकारिता बैंक के भी 48 करोड़ रूपए की फर्जी निकासी का मामला सामने आया है। इस बाबत भी शुक्रवार को कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। इस लिहाज से कुल मिलाकर 343 करोड़ रुपये का नुकसान बिहार सरकार को हुआ है। इससे पहले 295 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी।

पटना से आकर भागलपुर में जांच का जिम्मा संभाल रहे आर्थिक अपराध शाखा के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने तीन एफआईआर दर्ज करने और 295 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की बात कबूली है। गंगवार के मुताबिक, अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

माना जा रहा है कि उनमें भागलपुर के डीएम आदेश तितिरमारे के सहायक प्रेम कुमार भी शामिल हैं।

आईजी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में जिला नजारत, भू-अर्जन विभाग और बैंक के अधिकारी और सृजन एनजीओ के प्रबंधक भी शामिल हैं।

आईजी ने कहा कि नामों का खुलासा जल्द कर दिया जाएगा।

आईजी पांच अफसरों के साथ बुधवार को भागलपुर हवाई जहाज से आए थे। तीन दिनों की गहन तहकीकात और पूछताछ के बाद शुक्रवार को पटना रवाना होने से पहले सर्किट हाउस में पत्रकारों को उन्होंने जांच की जानकारी दी।

आईजी गंगवार ने कहा कि भागलपुर का यह फर्जीवाड़ा सरकारी राशि के गबन का महत्वपूर्ण कांड है और संगठित तरीके से इसे लंबे समय से अंजाम दिया जा रहा था। तभी 2015 से लेकर मार्च 2017 तक हुई महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में भी यह उजागर नहीं हो सका। मामले का खुलासा तब हुआ, जब चार अगस्त को डीएम द्वारा जारी चेक बैंक ने बाउंस कर दिया। तब बैंक से लेकर जिला समाहरणालय तक हड़कंप मचा और मामला उजागर हो सका।

जांच में सरकारी विभागों, बैंकों और एनजीओ के बीच सांठगांठ सामने आई है। आर्थिक अपराध शाखा को सृजन एनजीओ के वैसे प्यादों को दबोचने में सफलता मिली है जो साइबर क्राइम का मास्टर है। यही लोग सरकारी बैंक खातों की फर्जी विवरणी और पासबुक अपडेट करते थे। पुलिस ने उसका लैपटॉप, प्रिंटर और दूसरे साक्ष्य जब्त किए हैं।

हालांकि, पुलिस अधिकारी का कहना है कि कोर बैंकिंग के युग में बैंक से गलत विवरणी तैयार नहीं हो सकता।

शुक्रवार (11 अगस्त) की सुबह डीएम के सहायक प्रेम कुमार के सरकारी आवास पर पुलिस ने छापा मारकर उसे हिरासत में लिया। उसके आवास से कुछ जरूरी कागजात भी बरामद किए गए हैं। दोपहर में पुलिस टीम सृजन संस्था की सचिव प्रिया कुमार और उनके पति अमित कुमार को गिरफ्तार करने उसके तिलकामांझी आवास पर गई, लेकिन तब तक दोनों भाग चुके थे।

हालांकि, जब पत्रकारों ने आईजी से जांच का दायरा बढ़ने और घोटाले के आरोपियों को राजनैतिक संरक्षण मिलने से जुड़े सवाल पूछे तो उन्होंने चुप्पी साध ली। सिर्फ इतना कहा कि अभी जांच जारी है।

आर्थिक अपराध के एएसपी सुशील कुमार और रशीद जमा के नेतृत्व में जांच दल फिलहाल भागलपुर में ही कैंप करेगा। जांच में सहयोग के लिए बैंक लेन-देन, साइबर एक्सपर्ट के साथ पटना से वित्त विभाग की टीम भी पहुंच चुकी है। डीडीसी के जरिए घोटाले में संलिप्त बैंकों को पत्र भेजने की तैयारी चल रही है ताकि गबन राशि की जब्ती हो सके। दोनों बैंकों (इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा) के डीजीएम रैंक के अफसर भी भागलपुर में कैंप कर रहे हैं और अधिकारियों की टीम लगाकर बैंक में आंतरिक जांच करवा रहे हैं।

एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि चेक पर दस्तखत की फोरेंसिक जांच भी कराई जाएगी। जांच टीम सृजन एनजीओ से नकद निकासी और ट्रांसफर के जरिए रकम का फायदा लेने वालों की पहचान की कोशिश भी कर रही है।

आईजी गंगवार ने बताया कि भागलपुर के अलावा दूसरे जिलों में भी सृजन संस्था के तार जुड़े हैं। सहरसा में भी बैंक खातों के लेन-देन, जमीन में निवेश और साइबर अपराध की बात सामने आई है। वहां भी जांच कराई जा रही है। इस बीच राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बिहार के सभी जिलों के डीएम को संदेश भेज सरकारी राशि की खैरियत की रिपोर्ट मांगी है।

 

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