ब्रिटिश इतिहासकार लुईस डे एसिस कोरैया ने मुगल बादशाह अकबर की जिंदगी पर सबसे अहम खुलासा किया है। कोरैया कहते हैं कि जोधाबाई को अकबर की पत्नी बताया जाता है, लेकिन वास्तव में अकबर की पत्नी जोधाबाई नहीं थी। कोरैया कहते हैं, असल में जोधाबाई जहांगीर की पत्नी थी।
लंदन के ब्रिटिश इतिहासकार लुईस डे एसिस कोरैया पिछले कई वर्षों से भारत में रहकर स्वतंत्र रूप से पुर्तगाल और ईसाईयों पर रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 6 किताबें लिखी हैं जिसमें से हाल ही में उन्होंने 'पुर्तगाल भारत और मुगल रिश्ते (1510-1735)' नाम की एक किताब रिलीज की है।
इस किताब में अकबर और पुर्तगाली मारिया मार्करनहस के बीच वैवाहिक गठबंधन के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है।
वह कहते हैं कि इस संबंध का मुगल, पुर्तगाली और अंग्रेजी स्रोतों में भी जिक्र नहीं है।
मारिया मार्करनहस के बारे में कोरैया लिखते हैं, वह अपनी छोटी बहन जुलियाना के साथ लिस्बन से गोवा सितंबर 1558 में आई थीं।
किताब में कैरैया लिखते हैं, उस जमाने में पुर्तगाल के राजा की यह जिम्मेदारी थी कि वह राज्य के लिए बलिदान देने वालों के अनाथों की रक्षा करें और शादी की उम्र वाली लड़कियों को कॉलोनियों में भेजा जाए। लेकिन बीच में उनके जहाज पर डाकू ने हमला कर दिया और दोनों लड़कियों को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के दरबार में लाया गया। सुल्तान बहादुर शाह ने दोनों लड़कियों को मुगल दरबार में पेश किया।
वह लिखते हैं, जैसे ही अकबर की नजर 17 साल की मारिया मार्करनहस पर पड़ी, उन्हें उससे मोहब्बत हो गई और अकबर ने जल्द से जल्द उसे अपनी पत्नी बनाने का फैसला कर लिया।
कोरैया कहते हैं, यूं तो अकबर के हरम में उनके बारे में काफी सामान उपलब्ध है, लेकिन फिर भी मुगल सूत्र इस रिश्ते के बारे में खामोश रहे।
उन्होंने कहा, अकबर के जीवन के बारे में सबसे भरोसेमंद दस्तावेज अबुल फजल द्वारा लिखा गया 'अकबरनामा' माना जाता है इसमें भी इस बारे में कुछ लिखा नहीं गया है।
वहीं मुगल स्रोत्र 'अल बदायूनी' में भी मारिया का कोई जिक्र नहीं मिलता।
कोरैया के मुताबिक, मुगल और पुर्तगालियों के बीच तल्ख रिश्ते होने के कारण उन्होंने यह नहीं कहा कि अकबर की एक ईसाई बीवी थी।
कोरैया ने बताया कि जोधाबाई वह महिला नहीं हैं जिसका जिक्र वह मारिया के तौर पर कर रहे हैं।
कोरैया कहते हैं कि न तो अकबरनामा में और न ही कभी जहांगीर की मां के तौर पर जोधाबाई का जिक्र मिलता है।
उन्होंने कहा, इस अवधि में फारसी रिकॉर्ड में भी इस नाम (जोधाबाई) के किसी शख्स का जिक्र नहीं आता।
जो इतिहासकार जोधाबाई का जिक्र करते हैं वे हैं इतिहासकार जेम्स टॉड। लेकिन वह उनका (जोधाबाई) जिक्र जहांगीर की पत्नी और शाहजहां की मां के तौर पर करते हैं।
कोरैया ने दावा किया कि जहांगीर की मां पुर्तगाली ईसाई (मारिया मार्करनहस) थीं जिसे मरियम-उज़-ज़मानी कहा जाता था।
कोरैया कहते हैं कि जहांगीर हमेशा क्रॉस की एक गोल्ड की चेन पहनकर रहते थे जिसे उन्होंने कभी नहीं उतारा।
कोरैया कहते हैं कि जहांगीर आधा ईसाई थे और उनके महल में यीशु की एक तस्वीर थी और वह आगरा के जेसुइट हाउस में हफ्ते में एक दिन जरूर बिताते थे।
(परवेज़ अनवर नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास विभाग के छात्र रहे हैं तथा आईबीटीएन ग्रुप के फाउंडर, सीईओ, डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ हैं।)
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