जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है: मोदी सरकार

 07 Aug 2017 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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भारत में केंद्र की मोदी सरकार ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जा पर अदालत में अपने पहले स्टैंड को वापस लेने का फैसला किया है। अब मोदी सरकार कोर्ट में हलफनामा देगी कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय के पास लंबित याचिकाओं में एक नया हलफनामा दर्ज करेगा। 22 फरवरी, 2011 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग (एन सी एम आई) के आदेश का समर्थन किया गया था जिसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया को एक धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया गया था।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय न्यायालय का कहना है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया का उद्देश्य कभी भी अल्पसंख्यक संस्था का नहीं था क्योंकि इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था और इसे केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

पिछले साल जब स्मृति ईरानी एच आर डी मिनिस्टर थीं तब अटॉर्नी जनरल ने अदालत में अपना विचार बदलने की सलाह दी थी कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।

तब अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी थे। उन्होंने कहा था कि सरकार 1968 के अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करती है ताकि वह अपने रुख में बदलाव का समर्थन कर सके।

अजीज बाशा मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है क्योंकि यह ब्रिटिश विधायिका द्वारा स्थापित किया गया था, इसे मुस्लिम समुदाय ने स्थापित नहीं किया था। जब स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थी तब अटॉर्नी जनरल की सलाह को स्वीकार कर लिया गया।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर रिट याचिकाओं की सुनवाई की तारीख अभी नहीं आई है। जब याचिकाओं की सुनवाई होगी, तब केंद्र सरकार एक नया हलफनामा दाखिल करेगी। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वीसी ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा है।

एन सी एम आई के मुताबिक, मुसलमानों के लाभ के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना मुसलमानों द्वारा की गई थी। इसे अपनी मुस्लिम अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था की पहचान कभी नहीं खोनी चाहिए। 2011 के एन सी एम आई के आदेश पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आरक्षण खत्म दिया था। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए सभी कोर्सों में आधी सीटें रिजर्व कर दी गई थीं।

 

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