सऊदी अरब की एक अदालत ने सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी हत्या मामले में दोषी ठहराए गए पांच लोगों की मौत की सज़ा को बदल दिया है। पहले पाँच लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी मगर अब उसे सात से 20 साल तक जेल की सज़ा में बदल दिया गया है।
अभियोजन पक्ष का कहना है कि पत्रकार के परिवार ने दोषियों को माफ़ करने का फ़ैसला किया था जिसके बाद उनकी मौत की सज़ा को बदल दिया गया।
मगर ख़ाशोज्जी की मंगेतर हातिज जेंगीज़ ने इस फ़ैसले को इंसाफ़ का मज़ाक बताया है।
तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने भी इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि ये फ़ैसला तुर्की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता।
सऊदी सरकार के प्रमुख आलोचक ख़ाशोज्जी पर 2018 में तुर्की के इस्तांबुल शहर में स्थित सऊदी दूतावास में सऊदी एजेंट्स की एक टीम ने हमला किया और उनकी लाश के टुकड़े कर दिए गए थे जिन्हें कभी बरामद नहीं किया जा सका।
सऊदी सरकार ने कहा था कि जिस अभियान के तहत उन्हें मारा गया, उसे उसकी जानकारी नहीं थी। इसके एक साल बाद सऊदी के अभियोजकों ने 11 अनाम व्यक्तियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू किया था।
लेकिन उस वक़्त संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत एग्नस कॉलमार्ड ने ट्रायल को 'न्याय के विपरीत' बताकर ख़ारिज कर दिया था। उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि ख़ाशोज्जी की 'जानबूझकर और सोची-समझी साज़िश के तहत हत्या' की गई थी जिसके लिए सऊदी सरकार ज़िम्मेदार है।
कॉलमार्ड ने कहा था कि इस बात के विश्वसनीय सबूत हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान समेत उच्च-स्तरीय अधिकारी व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार थे।
प्रिंस ने इस मामले में हाथ होने की बात से इनकार किया। हालांकि उनके दो पूर्व सहयोगियों पर ख़ाशोज्जी की पूर्व-नियोजित हत्या के लिए उकसाने के आरोप में तुर्की में मुक़दमा चलाया गया है।
तुर्की ने अन्य 18 सऊदी नागरिकों पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था।
ख़ाशोज्जी की हत्या की रिकॉर्डिंग
59 साल के पत्रकार ख़ाशोज्जी ख़ुद सऊदी अरब छोड़कर 2017 में अमरीका चले गए थे। उन्हें आख़िरी बार 2 अक्टूबर 2018 को सऊदी के वाणिज्य दूतावास के अंदर जाते देखा गया था। दरअसल उन्हें अपनी तुर्क मंगेतर हतीजा जेंगिज़ से शादी करने के लिए कुछ कागज़ात की ज़रूरत थी, उसी के सिलसिले में वो दूतावास गए थे।
तुर्किश इंटेलिजेंस ने दूतावास के अंदर हुई बातचीत की कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी की थी। जिसे सुनने के बाद कॉलमार्ड निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि ख़ाशोज्जी को उस दिन 'बेरहमी से मारा' गया था।
वहीं सऊदी के पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने निष्कर्ष निकाला कि हत्या सोची-समझी साज़िश नहीं थी।
उसने कहा था कि हत्या का आदेश उस टीम के प्रमुख ने दिया था जिसे 'ख़ाशोज्जी को मनाकर' सऊदी वापस लाने के लिए इस्तांबुल भेजा गया था।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक़ हाथापाई के बाद पत्रकार ख़ाशोज्जी को वहीं जबरन रोक लिया गया और इंजेक्शन लगा दिया गया जिसमें बहुत ज़्यादा दवाई थी और ओवरडोज़ की वजह से उनकी मौत हो गई।
उनके शरीर को अलग-अलग हिस्सों में दूतावास के बाहर स्थानीय 'सहयोगी' को दे दिया गया। उनके अवशेष कभी नहीं मिले।
वहीं तुर्की के अभियोजकों ने निष्कर्ष निकाला कि दूतावास में घुसते ही ख़ाशोज्जी का गला घोट दिया गया और उनके शव को नष्ट कर दिया गया।
2019 में सुनाई गई थी मौत की सज़ा
दिसंबर 2019 में रियाद के आपराधिक न्यायालय ने पांच लोगों को 'पीड़ित की हत्या को अंजाम देने और सीधे तौर पर उसमें शामिल होने' के लिए मौत की सज़ा सुनाई।
वहीं तीन अन्य को 'अपराध पर पर्दा डालने और क़ानून का उल्लंघन' करने के लिए कुल 24 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई।
तीन लोगों को दोष मुक्त कर दिया गया। जिनमें सऊदी अरब के पूर्व डिप्टी इंटेलिजेंस प्रमुख अहमद असीरी भी शामिल थे।
सऊदी के पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार सऊद अल-क़हतानी से पूछताछ की लेकिन उन्हें चार्ज नहीं किया गया।
सज़ा क्यों बदली गई?
इस साल मई में ख़ाशोज्जी के बेटे सालाह ने घोषणा की कि वो और उनके भाई 'पिता की हत्या करने वालों को माफ़ कर रहे हैं', उन्होंने कहा कि इन दोषियों को सर्वशक्तिमान ईश्वर ही उनके किए का फल देंगे।
ख़ाशोज्जी के बेटों ने इस दलील को स्वीकार किया कि ये हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी।
इसके बाद सऊदी क़ानून के तहत सज़ा की मौत पाने वाले पांच दोषियों की सज़ा कम होने का रास्ता खुल गया।
सोमवार को सऊदी के पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने घोषणा की कि रियाद आपराधिक न्यायालय ने पांचों की मौत की सज़ा को बदलकर 20 साल की जेल की सज़ा सुनाई है और तीन अन्य को सात से 10 साल के बीच की सज़ा दी है।
ये भी कहा गया कि ये अंतिम फ़ैसले हैं और अब आपराधिक मुक़दमा बंद कर दिया जाएगा।
जेंगिज़ ने एक बयान में कहा, ''सऊदी अरब में आज दिए गए फ़ैसले ने एक बार फिर न्याय का मज़ाक बना दिया है।''
उन्होंने कहा, ''सऊदी सरकार मामले को बंद कर रही है, बिना दुनिया को ये सच बताए कि उनकी मौत के लिए कौन ज़िम्मेदार था? किसने योजना बनाई थी, किसने आदेश दिया था, उनका शव कहां है? ये सबसे ज़्यादा बुनियादी और महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनका बिल्कुल जवाब नहीं मिला।''
कॉलमार्ड ने मौत की सज़ा कम किए जाने का स्वागत किया, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि इन फ़ैसलों के ज़रिए ''जो हुआ उसे दबाने की कोशिश नहीं की जा सकती''।
उन्होंने ट्वीट किया, ''ये फै़सला कोई क़ानूनी या नैतिक वैधता नहीं रखता। ये फ़ैसला उस प्रक्रिया के बाद आया जो ना तो निष्पक्ष था और ना पारदर्शी।''
कॉलमार्ड ने कहा कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद ''किसी भी तरह की सार्थक जांच से बचे रहे हैं''।
उन्होंने फिर से अमरीकी इंटेलिजेंस सर्विसेस को अपने उस कथित आंकलन को जारी करने की अपील की जिसमें कहा गया था कि क्राउन प्रिंस ने ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश दिया था।
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