अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर अमरीका और ईरान के बीच विवाद बढ़ा तो ईरान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।
ट्रंप ने एक ट्वीट कर कहा, ''अगर ईरान युद्ध चाहता है तो ये उसका औपचारिक अंत होगा। अमरीका को आइंदा धमकी मत देना!''
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने उन्हें जवाब में कहा है - ''ऐसे तानों से ईरान ख़त्म नहीं होगा।''
हालिया दिनों में अमरीका ने खाड़ी में कई लड़ाकू जहाज़ और विमान तैनात किए हैं।
हालाँकि इस क्षेत्र में सैन्य संघर्ष की संभावनाओं को टालने के प्रयास हो रहे थे, मगर ट्रंप के इस ट्वीट से अमरीका का सुर बदलता दिख रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने फ़ॉक्स न्यूज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि अमरीका ईरान को परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देगा। साथ ही वह अमरीका से विवाद भी नहीं चाहता।
उन्होंने कहा, ''मैं युद्ध नहीं चाहता क्योंकि युद्ध से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, सबसे अहम ये है कि युद्ध में लोग मारे जाते हैं।''
ईरान भी बढ़ते तनाव पर चिंताओं को कम करने के लिए आगे बढ़ा है। शनिवार को, ईरान के विदेश मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि वह युद्ध नहीं चाहता।
मोहम्मद जावेद ज़फ़र ने ईरानी मीडिया से बात करते हे कहा, ''युद्ध नहीं होगा क्योंकि न तो हम युद्ध चाहते हैं और न ही किसी को भ्रम है कि वे इस क्षेत्र में ईरान का सामना कर सकते हैं।''
रविवार को ईरान की फार न्यूज़ एजेंसी के हवाले से बताया गया कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड के कमांडर मेजर जनरल होसेन सलामी ने कहा कि ईरान अमरीका से युद्ध नहीं चाहता, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ''अमरीका डर रहा है और युद्ध नहीं चाहता।''
बीबीसी के कूटनीति मामलों के संवाददाता इस मामले को समझाते हुए कहते हैं कि ईरान के साथ तनाव को कम करने को लेकर कोशिशों के बाद ट्रंप ने अब ईरान के लिए धमकियों भरा ट्वीट किया है और कहा है कि अमरीकी हितों के खिलाफ कोई भी हमला होने पर भयावह परिणाम होंगे।
ऐसे में अमरीका और ईरान के बीच अस्थिरता बढ़ गई है।
अमरीका अपनी नीतियों को लेकर साफ़ नहीं है, वहीं ईरान की इच्छा इस मामले को आगे ले जाने की लग रही है। इस इलाके में हुई गतिविधियां भी इन आशंकाओं को हवा दे रही हैं। हाल ही में बगदाद में स्थित अमरीकी कमाउंड के पास हुए रॉकेट अटैक भी ऐसी ही एक गतिविधि रही।
जो प्रदर्शित करता है कि ज़मीन पर ऐसे तत्व हैं जो इस तनाव को भड़काने और अमेरिकी प्रशासन के युद्ध से बचने के इरादों का परीक्षण कर रहे हैं।
रविवार को इराकी सेना ने कहा कि बगदाद के भारी किले वाले ग्रीन जोन में एक रॉकेट दागा गया, इस इलाके में सरकारी इमारतें और विदेशी दूतावास हैं। यह कथित तौर पर अमेरिकी दूतावास के पास एक इमारत से टकराया। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ और यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि हमले के पीछे कौन था।
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने हालांकि कहा, ''अगर कोई भी हमला ईरान और उसके प्रॉक्सी मिलिट्री की ओर किया जाता है तो अमेरिका ईरान को जिम्मेदार ठहराएगा।''
ट्रंप की ओर से ट्विटर पर दी गई धमकी रॉकेट अटैक की खबर के बाद ही आई।
हाल के दिनों में, अमेरिका ने यूएसएस अब्राहम लिंकन विमान वाहक को इस क्षेत्र में तैनात किया है और कथित तौर पर मध्य पूर्व में 120,000 सैनिकों को भेजने की योजना तैयार की है।
राजनयिक कर्मचारियों को इराक छोड़ने का आदेश दिया गया है, और अमेरिकी सेना ने क्षेत्र में ख़तरे के स्तर को बढ़ा दिया है।
डच और जर्मन सेनाओं ने कहा है कि इस इलाके में उन्होंने सैन्य प्रशिक्षण को रद्द कर दिया है।
दूसरी ओर, सऊदी अरब ने शुक्रवार को तेहरान पर एक पाइपलाइन पर ड्रोन हमले का आरोप लगाया। इसने आरोप लगाया कि यमन में हुती विद्रोहियों ने ईरान के आदेशों पर हड़ताल की।
ये नया विवाद तब शुरू हुआ, जब ईरान ने 2015 के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही यूरेनियम के उत्पादन को फिर से शुरू करने की धमकी दी है जो रिएक्टर ईंधन और परमाणु हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
साल 2015 के समझौते के तहत ईरान पर लगे प्रतिबंध इस शर्त पर हटाए गए थे कि वह परमाणु हथियारों को विकसित करना पूरी तरह बंद कर दे, लेकिन अमरीका ने बीते साल इस समझौते से खुद को अलग कर लिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान समझौते का उल्लंधन कर रहा है और इसके साथ ही अमरीका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए।
तेहरान ने कथित तौर पर खाड़ी में नावों पर मिसाइलें रखी हैं, और अमेरिकी जांचकर्ताओं का मानना है कि ईरान ने संयुक्त अरब अमीरात के तट से चार टैंकरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इस दावे को ईरान ने इनकार किया है।
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