ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने मानवाधिकर उल्लंघनों के सवाल पर चुप्पी तोड़ी

 22 Jun 2021 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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1988 में ईरान-इराक़ युद्ध के बाद राजनीतिक क़ैदियों को सामूहिक फांसी देने से जुड़े मामले को लेकर ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की आलोचना होती रही है। इस बार मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर उन्होंने पहली बार टिप्पणी की है।

शुक्रवार, 18 जून 2021 को हुए चुनाव में अपनी जीत के बाद सोमवार, 21 जून 2021 को रईसी ने पहली बार प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। इस दौरान उन्होंने परमाणु समझौतों से लेकर ईरान-अमेरिकी रिश्तों पर भी बात की।

लेकिन एक पत्रकार ने उनसे उनके मानवाधिकार रिकॉर्डों के बारे में पूछ लिया तो इस पर रईसी ने कहा, "मुझे गर्व है कि मैंने हर स्थिति में अब तक मानवाधिकारों का बचाव किया है।"

उन्होंने चरमपंथी समूह आईएस के संदर्भ में कहा कि वो 'उन लोगों से भी निपटे है जिन्होंने लोगों के अधिकारों को बाधित किया है और दाएशी और सुरक्षा विरोधी कामों में शामिल रहे हैं'।

"अगर एक क़ानून विशेषज्ञ, एक जज या एक प्रोसिक्यूटर लोगों के अधिकारों की और समाज की सुरक्षा की रक्षा करता है तो उसकी लोगों की सुरक्षा करने के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।"

क्या हैं आरोप

इब्राहिम रईसी पर बार-बार मानवाधिकारों का उल्लंघन के आरोप लगाए जा रहे हैं क्योंकि 1988 में जब तक़रीबन 5,000 राजनीतिक क़ैदियों को सामूहिक फांसी की सज़ा दी गई तब वो ईरान के डिप्टी प्रोसिक्यूटर थे।

इन राजनीतिक क़ैदियों में से ज़्यादातर लोग ईरान में वामपंथी और विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-ख़ल्क़ा (MEK) या पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ ईरान (PMOI) के सदस्य थे।

इसके कारण अमेरिका उन पर प्रतिबंध भी लगा चुका है।

इसराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट ने रविवार, 20 जून 2021 को अपनी कैबिनेट की पहली बैठक के दौरान रईसी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह 'क्रूर जल्लादों के शासन' का हिस्सा थे।

बेनेट ने दुनिया की शीर्ष ताक़तों को आगाह किया है कि ईरान के साथ परमाणु समझौते में लौटने से पहले यह अंतिम बार 'जाग जागने' वाली कॉल है।

कट्टरपंथी नेता रईसी शनिवार, 19 जून 2021 को 62 फीसदी मतों के साथ ईरान के नए राष्ट्रपति चुने गए थे। इस चुनाव के दौरान ऐतिहासिक रूप से ईरान में सबसे कम मतदान हुआ था।

 

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