बिहार में गौ वध पर साल 1955 से ही रोक लगी है, नीतीश किसे बेवकूफ बना रहे है?

 01 Aug 2017 ( परवेज़ अनवर, एमडी & सीईओ, आईबीटीएन ग्रुप )
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बिहार में गौ वध पर साल 1955 से ही पूर्ण रोक लगी है। अब नीतीश कुमार किसे बेवकूफ बना रहे है?

बिहार में नीतीश सरकार अब हिन्दूवादी एजेंडे पर चल पड़ी है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की तर्ज पर नीतीश सरकार गठन के बाद राज्य में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का दावा किया है। ऐसा दावा करके नीतीश सरकार झूठ बोल रही है क्योंकि बिहार में गौ वध पर साल 1955 से ही पूर्ण रोक लगी है। अब नीतीश कुमार किसे बेवकूफ बना रहे है?

बिहार के पशुपालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने पदभार संभालते ही राज्य में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का दावा दिया। साथ ही नए बूचड़खाने खोलने पर भी रोक लगा दी है। एचटी मीडिया के मुताबिक, पारस ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उनका विभाग अब कोई नया पशु वधशाला स्थापित करने का लाइसेंस जारी नहीं करेगा।

हालांकि, आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बिहार में गौ वध पर साल 1955 से ही पूर्ण रोक लगी है।

इस साल के शुरुआत में बीजेपी ने राज्य में गौ कशी पर रोक लगाने की मांग नीतीश सरकार से की थी। साल 2015 के विधान सभा चुनाव में भी गौ मांस पर सियासत छिड़ी थी। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें कुछ हाथ नहीं लग सका था।

उस समय के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा था कि बिहार में गौ वध पर साल 1955 से ही पूर्ण रोक लगी है, अब बीजेपी यह माँग लोगों को गुमराह करने के लिए कर रही है।

सवाल उठता है कि नीतीश बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाते ही बिहार में गौ वध पर रोक लगाने की बात कर रही है। जबकि बिहार में गौ वध पर पूर्ण रोक पहले से ही लगी है। अब नीतीश कुमार किसे बेवकूफ बना रहे है? उन हिन्दुओं को जो आरएसएस और बीजेपी की साम्प्रदायिकता की राजनीति के शिकार है। अब नीतीश भी उन हिन्दुओं को अपना शिकार बनाना चाहते है। इसके लिए जरूरी है कि झूठ बोला जाये और लोगों को गुमराह किया, अब नीतीश इसी रास्ते पर चल पड़े है। भारत में गाय राजनीति की शिकार हो चुकी है। आज गाय एक वोट बैंक बन चुका है जिसे नीतीश भी भुनाने की कोशिश कर रही है।

अब मुस्लिम वोट नीतीश को मिलेगा नहीं, रही बात सेक्युलर हिन्दुओं की तो, वो भी नीतीश को वोट नहीं देंगे। ये विचारधारा की लड़ाई है, सेक्युलर हिन्दू इस मोर्चे पर समझौता नहीं कर सकते। अब नीतीश को कट्टर और सांप्रदायिक हिन्दुओं का ही आसरा है। इसलिए आने वाले वक़्त में नीतीश कट्टर हिन्दुओं को लुभाने के लिए ऊंटपटांग हिंदूवादी एजेंडे को लागू करने की कोशिश करे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।

 

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