हसीना के इस्तीफ़ा और भागने के बाद बांग्लादेश के ढाका में लोगों की विशाल भीड़ जश्न मना रही है
सोमवार, 5 अगस्त 2024
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में लोगों की विशाल भीड़ शेख़ हसीना की विदाई का जश्न मना रही है।
बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने इस्तीफ़ा देकर देश छोड़ दिया है।
ढाका में लोगों की भीड़ में मौजूद 17 साल की फ़ातिमा ने बीबीसी से कहा, ''हमारा देश फिर से आज़ाद हुआ है। मैं यहाँ अपनी आज़ादी का जश्न मनाने आई हूँ।''
पेशे से व्यवसायी रसूवा का कहना है, ''पिछले कुछ सप्ताह से हो रही घटनाओं से हम निराश थे। हमने बोलने की अपनी आज़ादी खो दी थी।''
रसूवा ने कहा है, "आप देख सकते हैं कि आज सब बाहर निकले हुए हैं। यहाँ जीत का अहसास मौजूद है। लेकन देश के सामने अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार पर काबू पाने की है।''
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने देश को संबोधित कर शांति की अपील की है। हालाँकि इस अपील के बाद भी देशभर से लूटपाट और आगजनी की ख़बरे आई हैं।
सेनाध्यक्ष वकार-उज़-ज़मान ने कहा है कि देश में अब एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा।
बांग्लादेश में राजनीतिक उथल पुथल के बीच यूरोपीय संघ ने क्या कहा?
सोमवार, 5 अगस्त 2024
यूरोपीय संघ ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को शांतिपूर्ण तरीक़े से सत्ता सौंपने की अपील की है।
ईयू ने कहा है कि बांग्लादेश में मानवाधिकारों को पूरा सम्मान होना चाहिए।
27 देशों के इस समूह के शीर्ष राजनयिक जोसेफ़ बॉरेल ने कहा है, "बांग्लादेश में हो रही घटना पर यूरोपीय संघ क़रीबी नज़र बनाए हुए है।"
ईयू की तरफ से यह बयान बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज़-ज़मां के देश के नाम संबोधन के बाद आया है।
ईयू का कहना है, "यूरोपीय संघ बांग्लादेश में हाल के दिनों में प्रदर्शनों में मारे गए लोगों को लेकर काफ़ी दुखी है। हम सेना प्रमुख की बात पर भरोसा करते हैं कि बांग्लादेश के हालात से शांतिपूर्वक निपटा जाएगा और ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से जो भी हत्याएँ हुई हैं उनकी निष्पक्ष जाँच की जाएगी।''
जोसेफ़ बॉरेल ने कहा है कि बांग्लादेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जवाबदेही तय करना काफ़ी अहम है और जिन्हें ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से बंदी बनाया गया है उन्हें फौरन रिहा किया जाना चाहिए।
बांग्लादेश में छात्र जुलाई 2024 से ही देश में बड़ी सरकारी नौकरियों में ख़ास लोगों को आरक्षण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई जिसमें जुलाई 2024 में लगभग 300 लोगों की मौत हुई है।
जबकि बीते दो दिनों में 110 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
छात्रों के इस प्रदर्शन के बाद सोमवार, 5 अगस्त 2024 को शेख़ हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और वो देश छोड़कर चली गई हैं।
बांग्लादेशः शेख़ हसीना के देश छोड़ने के बाद ढाका के हालात क्या हैं?
सोमवार, 5 अगस्त 2024
बांग्लादेश में शेख़ हसीना के इस्तीफ़ा देने और देश छोड़कर चले जाने के बाद कई शहरों में बड़े पैमाने पर लूटपाट और आगजनी की घटनाएं सामना आई हैं।
ढाका में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर पड़ा और पीएम आवास समेत कई इमारतों में तोड़फोड़ हुई है।
तस्वीरों में प्रधानमंत्री कार्यालय से लोगों को सामान उठाकर ले जाते हुए भी देखा गया है। जबकि प्रदर्शनकारी आवास में सोफ़ों पर बैठे और सेल्फ़ी लेते नज़र आए।
इसके अलावा शेख़ हसीना सरकार के गृह मंत्री के आवास में भी तोड़ फोड़ की गई।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि देश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और इसके लिए सभी पक्षों से बातचीत की गई है।
बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने चिंता जताई है और देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए फौरन कदम उठाने की बात कही है।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के ख़िलाफ़ देश के छात्र जुलाई 2024 से ही आंदोलन कर रहे थे।
यह आंदोलन काफ़ी उग्र और हिंसक हो गया था और जुलाई 2024 में ही 300 से ज़्यादा लोग मारे गए।
जुलाई 2024 में ही शेख़ हसीना ने इस आंदोलन से निपटने के लिए सेना को तैनात किया था, लेकिन इसका आंदोलन पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा।
बांग्लादेश के छात्रों ने रविवार, 4 अगस्त 2024 से सविनय अवज्ञा आंदोलन की अपील की थी। इसमें लोगों से तमाम सरकारी टैक्स न देने की अपील की गई थी।
रविवार, 4 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और इसमें क़रीब 90 लोगों की मौत हुई जबकि सोमवार, 5 अगस्त 2024 को 20 लोगों के मारे जाने की पुलिस ने पुष्टि की है।
शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाजिद रॉय ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के कार्यक्रम न्यूज़आवर से बातचीत में बताया है कि उनकी माँ रविवार, 4 अगस्त 2024 को ही अपना पद त्यागने का मन बना चुकी थीं।
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