भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई करते हुए मंगलवार, 17 मई, 2022 को आदेश दिया है कि मस्जिद परिसर में जिस जगह शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, उस जगह को संरक्षित रखा जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वहाँ नमाज़ पढ़ने पर कोई रोक नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख गुरुवार, 19 मई, 2022 को तय की है।
हालांकि निचली अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रही कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। मुस्लिम पक्ष की ओर से ये मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद में यथास्थिति बरकरार रखी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "वाराणसी की अदालत के फ़ैसले पर हुए विवाद का निराकरण करते हुए ये आदेश दिया जाता है कि 16 मई 2022 का आदेश केवल इसी हद तक प्रभावी रहेगा कि वाराणसी के ज़िलाधिकारी ये सुनिश्चित करेंगे कि अगर जिस जगह पर शिवलिंग पाया गया है, अगर वहां किसी के कदम पड़े तो उससे क़ानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी।''
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि मुसलमान वहां पर वजू भी कर सकेंगे क्योंकि ये उनकी धार्मिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी ने जब अदालत से वजू की प्रक्रिया को संरक्षित करने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, "क्या वजू धार्मिक क्रिया नहीं है? हम इसे भी संरक्षित कर रहे हैं।''
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उनके विरोध के बाद कोर्ट ने वाराणसी के सिविल कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इससे पहले सोमवार, 16 मई, 2022 को वाराणसी की एक अदालत ने ज़िला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की उस जगह को सील करने का आदेश दिया था जहाँ सर्वे करने वाली टीम में शामिल हिन्दू पक्ष ने कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया था। जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा कहा है।
मंगलवार, 17 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ के सामने अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद की प्रबंध कमेटी की याचिका पर सुनवाई हुई। यही कमेटी ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करती है।
शुक्रवार, 13 मई, 2022 को भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने अपने लिखित आदेश में इस मामले पर जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच को सुनवाई के लिए कहा था।
शुक्रवार, 13 मई, 2022 को चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चल रहे सर्वे के ख़िलाफ़ यथास्थिति बनाए रखने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था।
शुक्रवार, 13 मई, 2022 की सुनवाई में क्या हुआ था?
लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई। इस बेंच में चीफ़ जस्टिस के अलावा जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल थे।
बेंच ने कहा, ''याचिकाकर्ता की तरफ़ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी की बात सुनने के बाद हमारा ये मानना है कि इस मामले पर अदालत की रजिस्ट्री को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच के सामने सुनवाई के लिए इस केस को लिस्ट करने का निर्देश दिया जाए।''
अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद की प्रबंध कमेटी का पक्ष रख रहे हुज़ेफ़ा अहमदी ने बेंच से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे सर्वे कार्य के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है और उन्होंने इस मामले में अदालत से अंतरिम आदेश जारी किए जाने की मांग की।
हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे कराए जाने के आदेश के ख़िलाफ़ हमने एक याचिका दायर की है। ये जगह पुराने समय से मस्जिद रही है और धार्मिक उपासना स्थल क़ानून, 1991 के तहत भी इस तरह की किसी कार्रवाई पर पूरी तरह से रोक है।
मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेस ऑफ़ वरशिप (स्पेशल प्रोविजंस) ऐक्ट, 1991 और इसके सेक्शन चार का हवाला दिया गया है।
ये प्रावधान 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र में किसी तरह के बदलाव के लिए कोई मुक़दमा दायर करने या किसी किस्म की क़ानूनी प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगाता है।
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