भारत में दीपावली का त्यौहार आमतौर पर कारोबार और व्यापार जगत के लिए उत्साहवर्धक रहता आया है, लेकिन असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के एक प्रमुख का कहना है कि इस साल नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण यह तस्वीर बदली हुई थी।
संगठन का दावा है कि इस दीपावली बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले दस सालों की सबसे सुस्त दीपावली मानी जा रही है।
खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि कि भारत में सालाना करीब 40 लाख करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार होता है। इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज पांच प्रतिशत है, जबकि शेष 95 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र का है।
दीपावली के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्यौहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हजार करोड़ रुपए की रही है। इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गई और इस दृष्टि से यह पिछले दस सालों की सबसे खराब दीपावली रही है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित खर्च आदि इस दीपावली कारोबार के कम रहने के मुख्य कारण हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार तथा जीएसटी व्यवस्था की दिक्कतों ने बाजार में संशय का माहौल तैयार किया जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की। रेडीमेड कपड़े, उपहार के सामान, रसोई के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, एफ एम सी जी वस्तुएं, घड़ियां, बैग-ट्रॉली, घर की साज-सज्जा, सुखे मेवे, मिठाइयां, नमकीन, फर्निचर, लाइट-बल्ब आदि चीजें दीपावली के दौरान मुख्य तौर पर खरीदी जाती हैं।
कैट ने कहा कि व्यापारियों की उम्मीदें अब विवाह के सीजन पर लगी हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि दिवाली में जब सिर्फ दो दिन बचे थे, उस समय भी इस बार देशभर के बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ था और त्यौहारी माहौल बना ही नहीं। हर वर्ष इस समय खरीदारी अपनी उच्च सीमा पर होती थी। बाजारों में ग्राहकों की आवक बेहद कम रही जिसके चलते गत वर्ष के मुकाबले लगभग बिक्री में 40 फीसद की गिरावट है।
कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि उपभोक्ताओं की जेब में नकद की तंगी है, इस कारण से बाजारों में मंदी का माहौल है।
(आईबीटीएन के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
शेयरिंग के बारे में
हिंसक प्रदर्शनों के बाद कीनिया के राष्ट्रपति ने विवादित वित्त बिल वापस लिया
डच पैरेंट कंपनी ने 'रूस का गूगल' कहे जाने वाले यांडेक्स की रूसी इकाई को बेच...
भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2024 में 6.2 फीसदी की रफ़्तार से बढ़ सकती है: संयुक्त राष्ट...
साल 2023 में दुबई में जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर आयोजित हुए सीओपी28 में दुनिया के 19...
म्यांमार ने अफीम के उत्पादन में अफ़ग़ानिस्तान को पीछे छोड़ पहले स्थान पर पहुंचा