कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने घोषणा की थी कि 2037 तक हवाई यात्रियों की संख्या 8.2 बिलियन तक पहुंच जाएगी और दुनिया भर में विमानन उद्योग यात्रियों की संख्या में होने वाली इस वृद्धि के लिए कमर कस रहा है। लेकिन कोरोना वायरस की गंभीर चोट से अन्य सेक्टर्स की तरह यह सेक्टर भी बर्बाद हो गया।
महामारी का असर इतना गहरा है कि देशों को अपनी सीमाएं बंद करनी पड़ीं और लॉकडाउन में विमानन उद्योग को अपने विमानों को खड़े रखना पड़ा।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के मुताबिक, हवाई यात्रा में 98 फ़ीसदी तक की कमी आई है और अनुमान लगाया गया कि दुनिया भर की एयरलाइंस कंपनियों को 2020 तक 84 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।
आईएटीए ने यह भी अनुमान लगाया है कि प्रति पैसेंजर रेवेन्यू में भी 2019 की तुलना में 2020 में 48 फीसदी की गिरावट आएगी और सबसे बड़ा ख़तरा तो विमानन उद्योग और इससे जुड़ी 3.2 करोड़ नौकरियों पर मंडरा रहा है।
कोरोना वायरस के कारण भारतीय विमानन क्षेत्र को भी आने वाले वक्त में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि भारतीय विमानन उद्योग को 24,000 से 25,000 करोड़ के रेवेन्यू का नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर के ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक निदेशक जगनारायण पद्मनाभन ने एक प्रेस नोट के ज़रिए कहा, ''एयरलाइंस को लगभग 17 हज़ार करोड़, हवाई अड्डे के रिटेलर्स को 1,700 से 1,800 करोड़ रुपये और हवाई अड्डा ऑपरेटर्स को क़रीब 5,000 से 5,500 करोड़ रुपये तक का नुकसान होने की संभावना है।''
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