क्या अबू-बकर अल-बग़दादी की सीरिया में अमरीकी सेना के ऑपरेशन में मौत हो गई?

 28 Oct 2019 ( आई बी टी एन न्यूज़ ब्यूरो )
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क्या वास्तव में अबू-बकर अल-बग़दादी की सीरिया में अमरीकी सेना के ऑपरेशन में मौत हो गई? बगदादी पहले भी कई बार मारा जा चुका है। जिसकी घोषणा अमेरिका कई बार कर चुका है। एक बार फिर से अमेरिका ने बगदादी के मारे जाने की घोषणा की है।

गौरतलब है कि बहुत जल्द ही अमेरिकी में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हालत बेहद कमजोर है और इस बार के चुनाव में ट्रम्प के चुनाव जीतने की संभावना कम है। ट्रम्प इस बार चुनाव हार सकते हैं। इसलिए ट्रम्प की घोषणा को इसी सन्दर्भ में देखने की जरूरत है। हम इसे ट्रम्प का चुनावी कार्ड मान सकते हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में घोषणा की है कि ख़ुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन के भगोड़े नेता अबू-बकर अल-बग़दादी अमरीकी सेना के एक स्पेशल ऑपरेशन में मारे गए हैं।

रविवार को व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ट्रंप ने बताया कि अमरीकी सेना ने शनिवार की रात सीरिया में एक ऑपरेशन किया जिस दौरान बग़दादी ने अपने आप को आत्मघाती जैकेट के धमाके से उड़ा दिया।

ट्रंप से मिली जानकारी की मुताबिक़ ऑपरेशन में किसी अमरीकी सैनिक की मौत नहीं हुई है लेकिन बग़दादी के कई अनुयायी मारे गए हैं और कुछ को पकड़ा भी गया है।

ट्रंप ने ये भी कहा कि इस ऑपरेशन से अमरीकी सेना को 'बहुत सी संवेदनशील जानकारियां और चीज़ें' मिली हैं।

डोनल्ड ट्रंप ने इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए रूस, तुर्की और सीरिया का शुक्रिया भी अदा किया।  

ट्रंप ने कहा, ''अबू-बकर अल-बग़दादी की मौत हो चुकी है। वो इस्लामिक स्टेट के संस्थापक थे। ये दुनिया का सबसे हिंसक और क्रूर संगठन है।  अमरीका कई सालों से बग़दादी को खोज रहा था।''

ट्रंप ने कहा, ''बग़दादी को ज़िंदा पकड़ना या मारना मेरी सरकार की सबसे पहली राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता थी। अमरीकी सेना के विशेष बलों ने उत्तर पश्चिम सीरिया में रात में एक बहादुर और ख़तरनाक अभियान किया और शानदार कामयाबी हासिल की।''  

अमरीकी राष्ट्रपति ने रविवार अमरीकी समयानुसार सुबह लगभग नौ बजे की गई अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "मैं बग़दादी के मारे जाने की पुष्टि करता हूं।''

ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बताया, "शनिवार को स्पेशल फ़ोर्सेज़ के रेड के बाद बग़दादी ने अपने आत्मघाती जैकेट से ख़ुद को उड़ा लिया।''

ट्रंप ने बताया कि बग़दादी के साथ उसके तीन बच्चे भी थे, जो मारे गए।  आत्मघाती विस्फोट से बग़दादी का शरीर टुकड़ों में बिखर गया लेकिन डीएनए टेस्ट से उनकी पहचान की पुष्टि हो गई।

इससे पहले डोनल्ड ट्रंप ने रविवार को एक ट्वीट करके बताया था कि 'कुछ बहुत बड़ा हुआ है।'

बग़दादी जहां मारे गए वो जगह सीरिया के इदलिब प्रांत से काफ़ी दूर है।  माना जा रहा है कि बग़दादी सीरिया-इराक़ सीमा के पास छिपे हुए थे।  इदलिब के कई हिस्से अब भी जिहादियों के क़ब्ज़े में हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति ने बग़दादी की लोकेशन को 'कंपाउंड' कहा और बताया कि उन पर कुछ हफ़्तों से निगरानी रखी जा रही थी।

ट्रंप ने बताया कि इससे पहले भी मिलिट्री रेड की योजना थी लेकिन उनके बार-बार जगह बदलने की वजह से उन्हें रद्द करना पड़ा था।

बरीशा के एक निवासी (जहां पर कथित रूप से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया) ने बीबीसी को बताया कि शनिवार देर रात इलाक़े में हेलिकॉप्टरों के ज़रिए हमला हुआ।

हेलिकॉप्टरों ने दो घरों पर हमला किया और हमले में एक घर पूरी तरह नष्ट हो गया। इसके बाद सैनिक ज़मीन पर सक्रिय हो गए।

बग़दादी एक कथित इस्लामिक स्टेट के मुखिया थे और वो पिछले पाँच वर्षों से अंडरग्राउंड थे।

अप्रैल में इस्लामिक स्टेट के मीडिया विंग अल-फ़ुरक़ान की ओर से एक वीडियो जारी किया गया था। अल-फ़ुरक़ान ने वीडियो के ज़रिए कहा था कि बग़दादी ज़िंदा हैं।

जुलाई 2014 में मूसल की पवित्र मस्जिद से भाषण देने के बाद बग़दादी पहली बार दिखे थे।

फ़रवरी 2018 में कई अमरीकी अधिकारियों ने कहा था कि मई 2017 के एक हवाई हमले में बग़दादी ज़ख़्मी हो गए थे।

बग़दादी 2010 में इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया (आईएसआईएस) के नेता बने थे।

बग़दादी का जन्म 1971 में इराक़ के सामरा में निम्न-मध्य वर्गीय सुन्नी परिवार में हुआ था। बग़दादी का असल नाम इब्राहिम अल-ऊद अल-बदरी था लेकिन दुनिया उन्हें अल-बग़दादी के नाम से जानती थी।

यह परिवार अपनी धर्मनिष्ठता के लिए जाना जाता था। बग़दादी के परिवार का दावा है कि जिस क़बीले से पैग़ंबर मोहम्मद थे, उसी क़बीले से वो भी हैं। यह परिवार पैग़ंबर मोहम्मद का वंशज होने का दावा करता है।

युवा अवस्था में ही बग़दादी क़ुरान की आयतों को कंठस्थ करने के लिए जाने जाते थे। इसके साथ ही बग़दादी का इस्लामिक क़ानून से भी ख़ासा लगाव था।

परिवार में बग़दादी की पहचान घोर इस्लामिक व्यक्ति की थी। बग़दादी अपने रिश्तेदारों को बहुत ही सतर्क नज़रों से देखते थे कि इस्लामिक क़ानून का पालन हो रहा है या नहीं।

बग़दादी ने यूनिवर्सिटी में भी मज़हब की पढ़ाई की। 1996 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ बग़दाद से इस्लामिक स्टडीज़ में बग़दादी ने ग्रैजुएशन किया।

इसके बाद 1999 से 2007 के बीच क़ुरान पर इराक़ की सद्दाम यूनिवर्सिटी फ़ॉर इस्लामिक स्टडीज़ से मास्टर्स और पीएचडी हासिल की।

2004 तक बग़दादी बग़दाद के पास तोबची में अपनी दो पत्नियों और छह बच्चों के साथ रहे। इसी दौरान वो स्थानीय मस्जिद में पड़ोस के बच्चों को क़ुरान की आयतें पढ़ाते थे। बग़दादी फ़ुटबॉल क्लब के भी स्टार थे।

इसी दौरान बग़दादी के चाचा ने उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड जॉइन करने के लिए प्रेरित किया। बग़दादी तत्काल ही रूढ़िवादी और हिंसक इस्लामिक मूवमेंट की तरफ़ आकर्षित हो गए।

2003 में इराक़ पर अमरीका के हमले के कुछ ही महीने बाद बग़दादी ने विद्रोही गुट जैश अह्ल अल-सुन्नाह वा अल-जमाह के गठन में मदद की।

फ़रवरी 2004 में अमरीकी बलों ने फलुजा में बग़दादी को गिरफ़्तार कर लिया और बक्का डिटेंशन कैंप में 10 महीने तक रखा। क़ैद के दौरान भी बग़दादी ने ख़ुद को मज़हब पर ही केंद्रित रखा। वो क़ैदियों को इस्लाम की शिक्षा देते थे।

साथ के क़ैदियों के अनुसार बग़दादी अन्तर्मुखी स्वभाव के थे लेकिन वे अपने प्रतिद्वंद्वियों की पूरी ख़बर रखते थे। दिसंबर 2004 में क़ैद से बाहर आने के बाद बग़दादी ने उन सभी से गठजोड़ किया जिनसे वो संपर्क में थे। बाहर निकलने के बाद बग़दादी ने इराक़ में अल-क़ायदा के प्रवक्ता से संपर्क किया।

वो प्रवक्ता बग़दादी के इस्लामिक ज्ञान से बहुत प्रभावित हुआ। उसी प्रवक्ता ने बग़दादी को दमिश्क जाने के लिए राज़ी किया। बग़दादी को यहां अल-क़ायदा के प्रॉपेगैंडा को फैलाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।

अल-क़ायदा इन इराक़ को ख़त्म कर अबू-अय्यूब अल-मासरी ने इस्लामिक स्टेट इन इराक़ का गठन किया। इस समूह का अल-क़ायदा से भी संबंध बना रहा।

इस्लामिक विश्वसनीयता के कारण बग़दादी में आईएस के अलग-अलग धड़ों को एकजुट करने की क्षमता थी। इस्लामिक स्टेट से बग़दादी ने लोगों को जोड़ना शुरू किया।

बग़दादी को शरीया समिति का पर्यवेक्षक बनाया गया। इसके साथ ही उन्हें शुरा काउंसिल के 11 सदस्यों में भी शामिल किया गया।

बाद में बग़दादी को आईएस की समन्वय समिति में रखा गया जिसका काम इराक़ में कमांडरों के बीच संवाद क़ायम करना था।

अप्रैल 2010 में आईएस के संस्थापक के मारे जाने के बाद शुरा काउंसिल ने बग़दादी को आईएस का प्रमुख बना दिया।

 

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