कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में अब चौथे नंबर पर पहुँच गया है। अमरीका, ब्राज़ील और रूस ही केवल भारत से आगे हैं।
इसी बीच 16 और 17 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं।
1 जून से पूरे भारत में अलग-अलग तरह से अनलॉक-1 लागू किया गया। अनलॉक-1 में धार्मिक स्थलों, रेस्तरां और मॉल्स को खोलने की इजाज़त दी गई।
उसके बाद की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बीच की ये पहली बैठक है।
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों और हर रोज़ बढ़ते मौत के आँकड़ों के बीच इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।
खास तौर पर तब जब दिल्ली के लिए 12 एक्सपर्ट की टीम भारत की केंद्र सरकार ने बनाई है।
सबसे बड़ा सवाल कि क्या लॉकडाउन से जो कुछ हासिल हुआ, क्या अनलॉक-1 में उसे खो दिया?
31 मई को भारत में कोरोना के कुल 1 लाख 82 हज़ार मामले थे।
जबकि 15 जून को 3 लाख 32 हज़ार मामले हैं। यानी दोगुने से थोड़ा कम।
दिल्ली और मुंबई में अनलॉक-1 का सबसे बुरा ज़्यादा असर पड़ा है।
31 मई को दिल्ली में जहाँ 18549 मामले थे, वहीं 15 जून को ये आँकड़ा 41 हज़ार से ज्यादा है।
महाराष्ट्र में 31 मई को 65159 मामले थे, जो 15 जून को बढ़ कर 1 लाख 8 हज़ार के पास पहुँच गया है।
उपरोक्त तथ्यों से प्रमाणित होता है कि अनलॉक-1 के बाद भारत में कोरोना के बढ़ने की रफ़्तार में तेज़ी आई है।
भारत में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को मिला था। 24 मार्च को जब मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी तब भारत में केवल 550 पॉज़िटिव मामले ही थे।
इसलिए रोज़ जिस रफ़्तार से मामले बढ़ रहे हैं, उससे लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है।
यही हाल मौत के आँकड़ों का भी है। भारत में 15 जून तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 9520 है, जो 31 मई तक भारत में 5164 थी यानी तीन महीने में भारत में जितने लोगों की मौत नहीं हुई, तक़रीबन उतने ही लोगों की मौत जून के पहले 15 दिनों में हो गई।
दिल्ली की बात करें, तो 31 मई तक मरने वालों की संख्या 416 थी, जो अब 1327 हो गई है। यानी तक़रीबन तीन गुना।
महाराष्ट्र में 31 मई तक 2197 मौत हुई थी। जो 15 जून तक 3950 है। यानी तक़रीबन दोगुना हो गया है मौत का आँकड़ा।
लेकिन भारत के लिए एक अच्छी बात ये है कि दुनिया में मौत के आँकड़ों में भारत टॉप पाँच देशों में नहीं हैं। वो पाँच देश जहां कोरोना के कारण मौतों की संख्या सबसे अधिक है वो हैं अमरीका, ब्राज़ील, ब्रिटेन, इटली और फ्रांस।
31 मई को भारत में तक़रीबन 1 लाख 25 हज़ार लोगों के टेस्ट हुए थे। जबकि 14 जून को भारत में कुल 1 लाख 15 हज़ार लोगों के कोरोना टेस्ट हुए।
वैसे हर दिन के हिसाब से ये आँकड़े ज़रूर बदलते रहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं कि पिछले 15 दिनों में कोरोना टेस्ट की संख्या में बहुत ज़्यादा इज़ाफ़ा हुआ हो। आज भी भारत में एक दिन में सवा लाख से डेढ़ लाख लोगों के ही टेस्ट हो रहे हैं।
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में ये संख्या थोड़ी कम ही हुई है। दिल्ली सरकार ने जून के शुरुआती हफ्ते में कुछ टेस्टिंग लैब्स पर कार्रवाई की थी। जिसकी वजह से टेस्ट कम होने लगे थे।
दिल्ली में पिछले तीन दिनों से रोज़ कोरोना के 2000 से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र का हाल भी इससे ज़्यादा अलग नहीं है।
31 मई तक भारत में 37 लाख 37 हज़ार टेस्ट हुए थे। वहीं 14 जून तक भारत में 57 लाख 74 हज़ार टेस्ट हो चुके हैं। यहाँ 15 दिन में लगभग 20 लाख टेस्ट हुए है।
मई के अंत तक भारत में रिकवरी रेट 47.76 फ़ीसदी बताई जा रही थी। कोरोना संक्रमित मरीज़ों के ठीक होने की दर 51 फ़ीसदी हो गई है। अनलॉक-1 में सरकार इसे एक पॉज़िटिव साइन के तौर पर देख रही है।
लेकिन दिल्ली और मुंबई में ये राष्ट्रीय औसत से कम हैं। दिल्ली में इस वक़्त रिकवरी रेट 38 फ़ीसदी के आसपास है, और मुंबई की रिकवरी रेट 45 फ़ीसदी से ज्यादा है।
लेकिन विश्व स्तर पर भारत रिकवरी रेट में सबसे आगे नहीं है। जर्मनी का रिकवरी रेट तक़रीबन 90 फ़ीसदी से ऊपर है, जो दुनिया में सबसे बेहतर है।
ईरान और इटली का उसके बाद नंबर आता है। इन दोनों देशों में रिकवरी रेट 70 से ऊपर है। भारत में इस वक़्त रिकवरी रेट रूस के बराबर है जहाँ रिकवरी रेट 50 फ़ीसदी के आसपास है।
भारत के जाने माने डॉक्टर मोहसिन वली मानते हैं कि इन आँकड़ों के आधार पर ये कहा जा रहा है कि देश ने लॉकडाउन करके जो कुछ हासिल किया उन सब को बर्बाद कर दिया है।
उनके मुताबिक़ आँकड़े बता रहे हैं कि लोगों ने अनलॉक की छूट का ख़ूब फ़ायदा उठाया और सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हाथ धोना भूल गए।
प्रवासी मज़दूरों की आवाजाही ने कोरोना वायरस संक्रमण को बढ़ाया। ये पूछे जाने पर कि प्रवासी मज़दूर तो मई में ज़्यादा एक जगह से दूसरे जगह गए, डॉक्टर वली का कहना है कि उसका असर देश के कोरोना ग्राफ़ पर जून में ही दिखाई दे रहा है।
लेकिन डॉक्टर वली अब भी नहीं मानते कि अनलॉक-1 को हटा कर दोबारा लॉकडाउन लगाना चाहिए। उनके मुताबिक़ कोरोना के साथ जीना है, तो ऐसे में ही घर बैठना उपाय नहीं है। हमें सब काम जारी रखना है लेकिन एहतियात बरतते हुए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा है कि दिल्ली में फिर लॉकडाउन की कोई योजना नहीं है।
यही बात दिल्ली के व्यापारी संघ के लोग भी कह रहे हैं। दिल्ली के व्यापारियों ने निर्णय लिया कि दिल्ली के बाज़ार फ़िलहाल खुले रहेंगे।
बाज़ारों को बंद रखने, खुला रखने या बाज़ारों में ऑड-ईवन व्यवस्था अथवा एक दिन छोड़कर एक दिन दुकान खोलने का निर्णय दिल्ली के व्यापारी संगठन स्थिति का आकलन करते हुए स्वयं निर्णय लेंगें।
पिछले दिनों भारत के तमाम धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाज़त के बाद भी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद 30 जून तक के लिए बंद कर दिया गया है।
अब नज़रें 16-17 जून को भारतीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की बैठक पर टिकी है। भारत के बढ़ते कोरोना ग्राफ़ को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री क्या निर्णय लेते हैं?
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