भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी।
पाकिस्तान ने भारत के इस क़दम की सख़्त आलोचना की है। पाकिस्तान ने कहा है कि मस्जिद की जगह मंदिर का निर्माण, भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक दाग़ है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, ''वो ज़मीन जिस पर बाबरी मस्जिद 500 बरसों तक खड़ी रही हो, वहां राम मंदिर का निर्माण निंदनीय है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट का मंदिर बनाने के लिए इजाज़त देने का फ़ैसला, न सिर्फ़ मौजूदा भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को दर्शाया है, बल्कि ये भी दिखाता है कि कैसे धर्म न्याय के ऊपर हावी हो रहा है। आज के भारत में अल्पसंख्यक, ख़ासकर मुसलमानों के धर्मस्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। ऐतिहासिक मस्जिद की ज़मीन पर बना मंदिर तथाकथित भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक दाग़ की तरह होगा।''
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सूचना मंत्री फ़ैय्याज़ उल हसन चौहान ने कहा, ''पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर खोलने जैसा क़दम उठा रहा है, जबकि भारत हर वो क़दम उठा रहा है जो मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हो और इसी वजह से पूरी दुनिया में उसकी जगहंसाई हो रही है। भारतीय प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी बीजेपी के फ़ैसले से उनके चेहरे से धर्मनिरपेक्ष देश होने का नक़ाब उतर चुका है जिसकी पूरी दुनिया अब निंदा कर रही है।''
पाकिस्तान में धर्म स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई गई
छह दिसंबर, 1992 को भारत में बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद पाकिस्तान में भी इसकी प्रतिक्रिया हुई थी और कई मंदिरों को नुक़सान पहुंचाया गया था।
पाँच अगस्त, 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद पाकिस्तान में किसी तरह की प्रतिक्रिया की आशंका के मद्देनज़र वहां मंदिरों और अल्पसंख्यक समाज के धर्मस्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों की निगरानी करने वाली संस्था वक़्फ़ प्रोपर्टी बोर्ड ने पिछले महीने ही पाकिस्तान की केंद्र सरकार को ख़त लिखकर धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम का आग्रह किया था।
वक़्फ़ प्रोपर्टी बोर्ड के चेयरमैन आमिर अहमद ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि उन्हें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आधारशिला रखे जाने की गंभीरता का अंदाज़ा है और इसीलिए वो संबंधित अधिकारी और विभागों से लगातार संपर्क में हैं कि ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि उनकी संस्था के पास अपनी कोई फ़ोर्स नहीं होती और ये प्रांत सरकारों की ही ज़िम्मेदारी होती है कि वो अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाले धर्म स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
आमिर अहमद ने कहा कि उन्होंने सभी प्रांतों को भी इस बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फ़ॉर पीस स्टडीज़ के निदेशक आमिर राना हालांकि इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते कि भारत में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन का पाकिस्तान में कोई असर होगा।
उनका कहना था, ''पाकिस्तान में धार्मिक संगठन और राजनीतिक दल सांकेतिक विरोध तो ज़रूर करेंगे लेकिन क़ानून-व्यवस्था का कोई मसला खड़ा हो, इसकी आशंका कम है। दोनों तरफ़ बसने वाले लोगों ने बाबरी मस्जिद के मामले में भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को मान लिया है और अब आगे बढ़ना चाहते हैं।''
पंजाब प्रांत के सूचना मंत्री फ़ैय्याज़ उल हसन चौहान ने कहा कि पाकिस्तान की जनता बहुत समझदार है और वो इस अवसर पर अपने अल्पसंख्यक भाई-बहनों की इबादतगाहों को नुक़सान पहुंचाने का सोच भी नहीं सकते और न ही सरकार ऐसे किसी असामाजिक तत्व को इस तरह की किसी कार्रवाई की इजाज़त देगी।
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