क्या भारत पर अमरीकी प्रतिबंध लग सकता है?

 04 Oct 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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क्या अमरीका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है? भारत रूस से मिसाइल सिस्टम एस-400 ख़रीदने वाला है। लेकिन अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि अगर भारत ने ये मिसाइल खरीदी तो उस पर अमेरिका  प्रतिबंध लगा सकता है।

अमरीका दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि उन्हें लगता है कि वो इस सौदे के लिए अमरीका को मना लेंगे, लेकिन उसी दिन अमरीकी विदेश मंत्रालय ने द हिंदू अख़बार को ईमेल के ज़रिए बताया कि ऐसा कोई भी सौदा भारत के लिए मुसीबत बन सकता है और अमरीका उस पर प्रतिबंध लगा सकता है।

इस ईमेल में अमरीकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने लिखा, "हम अपने सहयोगियों से अपील करते हैं कि वो रूस के साथ कोई भी ऐसा सौदा करने से बचें, जिसकी वजह से उन पर काउंटरिंग अमरीकाज़ अडवर्सरीज थ्रु सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगने का ख़तरा हो।''

ये प्रतिबंध हर उस देश पर लागू होंगे जो अमरीका के सीएएटीएसए क़ानून का उल्लंघन करेगा।

रूस के मामले में अमरीका का यह क़ानून उन देशों को रोकता है जो रूस के साथ हथियारों का सौदा करते हैं।

डोनल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमरीकी संसद ने 2017 में इस क़ानून को पास किया था।

2 अगस्त 2017 को जब से ये क़ानून लागू हुआ है तब से ही भारत में ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि इससे भारत रूस के रक्षा संबंधों, ख़ास तौर पर एस-400 मिसाइल सिस्टम की संभावित ख़रीद पर क्या असर पड़ेगा।

इससे पहले अमरीका ने इस क़ानून के तहत चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के इक्विपमेंट डेवेलपमेंट डिपार्टमेंट और उसके निदेशकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीन पर ये प्रतिबंध इसलिए लगाए गए थे, क्योंकि उसने रूस से एसयू-35 एयरक्राफ्ट और एस-400 सिस्टम ख़रीदा था।  

रूस में बनने वाले एस-400 लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। जिसे भारत सरकार ख़रीदना चाहती है।

एस-400 को दुनिया का सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसमें स्टैंड ऑफ़ जैमर एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट है। यह बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों को टारगेट को हिट करने से पहले ही नष्ट कर देगा। एस-400 को सड़क के रास्ते कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसे पांच से 10 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है।

रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि एस-400 के आने से भारतीय वायु सेना की ताक़त बढ़ेगी। लेकिन रूस ने चीन को पहले ही एस- 400 दे दिया है। अब भारत को रूस ने एस- 400 की आपूर्ति करने का कॉन्ट्रैक्ट किया है। रूस पाकिस्तान को भी एस- 400 दे सकता है क्योंकि रूस का अब पाकिस्तान से अच्छा रिश्ता है।

भारतीय वायु सेना के लिए भारत सरकार ने रूस से पांच एस-400 सिस्टम मांगे हैं। भारत का रूस के साथ एस-400 सिस्टम की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रेक्ट हो चुका है।

इस डिफेंस सिस्टम के लिए भारत को कितनी क़ीमत चुकानी होगी, इसकी कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत को इसके लिए 5.4 अरब डॉलर से अधिक ख़र्च करने होंगे।

जैसे ही इस मिसाइल सिस्टम की पहली किश्त चुकाई जाएगी, वैसे ही भारत पर अमरीका के प्रतिबंध लागू हो सकते हैं।

इन प्रतिबंधों से बचने का एक तरीक़ा है, वो ये कि अमरीका के राष्ट्रपति भारत को इससे छूट दे दें।

लेकिन अमरीकी अधिकारी लगातार ये कहते रहे हैं कि भारत को ये नहीं सोचना चाहिए कि उसे ये छूट अपने-आप मिल जाएगी। अमरीका ये तय करेगा कि क्या करना है?

सीएएटीएसए की धारा 235 में 12 तरह के प्रतिबंधों का ज़िक्र है। अगर भारत रूस के साथ लेन-देन करता है तो अमरीका के राष्ट्रपति इनमें से पांच या उससे ज़्यादा प्रतिबंध भारत पर लगा सकते हैं। जैसे -
- जिस पर प्रतिबंध लगा है, उसे लोन नहीं दिया जाएगा
- जिस पर प्रतिबंध लगा है, वहां कोई सामान एक्सपोर्ट करने के लिए एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक से सहायता नहीं मिलेगी।
- जिस पर प्रतिबंध लगा है, अमरीकी सरकार वहां से कोई सामान या सेवा नहीं लेगी।
- उससे क़रीब से जुड़े किसी व्यक्ति को वीज़ा नहीं दिया जाएगा।

इनमें से दस प्रतिबंधों का तो भारत-अमरीका और भारत-रूस संबंधों पर ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। लेकिन दो प्रतिबंध आपसी रिश्तों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।

इनमें से एक है कि 'बैंकिग ट्रांसेक्शन्स पर प्रतिबंध' लगा दिया जाएगा।  जिससे भारत एस-400 के लिए रूस को अमरीकी डॉलर में भुगतान नहीं कर पाएगा।

दूसरे प्रतिबंध का भारत-अमरीका रिश्तों पर गहरा असर होगा। इसके तहत 'निर्यात पर प्रतिबंध' लगा दिया जाएगा। मतलब जिस पर प्रतिबंध लगा है, अमरीका उससे किसी चीज़ का आयात नहीं करेगा और ना ही इसके लिए लाइसेंस देगा।

इन दो प्रतिबंधों की वजह से भारत और अमरीका के बीच की रणनीतिक और रक्षा साझेदारी बुरी तरह प्रभावित होगी।

 

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