कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सत्ता पर काबिज होने की जंग लगभग खत्म हो चुकी है। केंद्र में बीजेपी की मोदी सरकार होने की वजह से राज्यपाल ने कर्नाटक में बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया है। कर्नाटक भाजपा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि येदियुरप्पा कल गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। 15 दिन के अंदर भाजपा को राज्य सरकार के लिए बहुमत साबित करना होगा। इसी को कहते है 'जिसकी लाठी उसकी भैंस'।
कर्नाटक में यह कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हुई। चूँकि राज्यपाल केंद्र का एजेंट होता है। ऐसे में उसे केंद्र की मोदी सरकार के निर्देश का पालन करना ही था। सबसे बड़ी बात ये है कि कर्नाटक के राज्यपाल आरएसएस के सदस्य है। राज्यपाल ने बहुमत प्राप्त गठबंधन (117 विधायक) को सरकार बनाने का न्यौता नहीं देकर लोकतंत्र की हत्या की है और संविधान की मर्यादा को भंग किया है।
कर्नाटक में बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत है, जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 104 विधायक ही है। ऐसे में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता देना विधायकों की खरीद - फरोख्त को बढ़ावा देगा। क्या राज्यपाल बताएँगे कि बीजेपी विधायकों की खरीद - फरोख्त के बिना कैसे अपनी सरकार का विधान सभा में बहुमत साबित करेंगे। राज्यपाल ने संविधान द्वारा मिले अधिकारों का दुरुपयोग किया है। भारत में ये सामान्य बात है कि नौकरशाह से लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे राजनेता संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं।
इससे पहले कर्नाटक में भाजपा के विधायक सुरेश कुमार ने भी ट्वीट कर जानकारी दी थी कि येदियुरप्पा कल यानि गुरुवार को कर्नाटक के सी एम पद की शपथ लेंगे। बाद में उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।
भाजपा विधायक सुरेश कुमार ने ट्वीट किया था कि कल सुबह 9.30 बजे येदियुरप्पा लेंगे सी एम पद की शपथ। उन्होंने आम लोगों को भी इस मौके पर मौजूद रहने को कहा था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि सरकार बनाने को लेकर भाजपा अब आश्वस्त है।
टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक, खबरें यह भी आई थी कि भाजपा को सरकार बनाने का निमंत्रण भी मिल चुका है। भाजपा को 21 मई तक बहुमत साबित करने का वक्त मिला है।
राज्यपाल का भाजपा को सरकार बनाने के लिए भेजा गया पत्र सामने आते ही कांग्रेस ने भाजपा पर संविधान की मर्यादा भंग करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने पहले ही कहा है कि राज्यपाल वजुभाई वाला कांग्रेस-जदएस गठबंधन को सरकार गठन के लिए आमंत्रित करने को संवैधानिक रूप से बाध्य हैं और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो यह राज्य में खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देना होगा। उसने यह भी कहा कि अगर राज्यपाल इस गठबंधन को न्योता नहीं देते हैं तो फिर राष्ट्रपति या न्यायालय के पास जाने का विकल्प खुला हुआ है।
बता दें कि राज्यपाल द्वारा बी एस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका देने से जुड़ी अटकलों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला और विवेक तन्खा ने कहा कि राज्यपाल के फैसले की आधिकारिक घोषणा के बाद पार्टी इन दो विकल्पों को लेकर निर्णय करेगी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि अगर राजपाल चाहें तो उनके समक्ष 117 विधयकों की पेशी कराई जा सकती है। सिब्बल ने गोवा के मामले में उच्चतम न्यायालय की एक टिप्पणी का हवाला दिया और कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल बहुमत वाले गठबंधन को सरकार बनाने का न्यौता देने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हैं।
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