बिहार का ऐतिहासिक चंपारण जिला इन दिनों भयंकर गंदगी की समस्या से जूझ रहा है। खास बात है कि यह समस्या, स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले लोगों की ही खड़ी की हुई है।
दरअसल बीते 10 अप्रैल को चंपारण में 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी।
अब खबर है कि कार्यक्रम के लिए चंपारण में आए हजारों स्वच्छाग्राहियों ने खुले में शौच किया, जिससे शहर में काफी गंदगी फैल गई है। म्यूनिसिपैलिटी के बनाए गए टेम्परेरी (वैकल्पिक) टॉयलेट नाकाफी साबित हुए, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौच करना पड़ा।
अब नगर पालिका के सामने इस वेस्ट को डंप करने की परेशानी खड़ी हो गई है। वहीं शहर के लोग वेस्ट से आ रही बदबू से परेशान हैं और अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
बता दें कि 1917 के सत्याग्रह आंदोलन के लिए प्रसिद्ध बिहार के चंपारण में बीते दिनों बड़े स्तर पर 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के लिए करीब 26 राज्यों से हजारों लोग चंपारण पहुंचे। इन लोगों के लिए चंपारण में टेंट और टेंपरेरी टॉयलेट बनाकर रहने की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम के लिए ये स्वच्छाग्राही 3 दिनों तक चंपारण में रहे। इन स्वच्छाग्राहियों के खाने-पीने की व्यवस्था भी इन टेंटों में ही की गई थी।
खबर है कि टेंपरेरी टॉयलेट की कम संख्या और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने खुले में शौच किया।
प्लानिंग के अभाव में अब चंपारण की नगरपालिका के सामने इस वेस्ट को डंप करने की चुनौती खड़ी हो गई है।
खबरें आ रही हैं कि इस वेस्ट को धनौती नदी में डाला जा रहा है, जिससे आसपास के लोगों का बदबू के कारण जीना मुहाल हो गया है।
हालांकि नगरपालिका इस बात से इंकार कर रही है, लेकिन सेप्टिक टैंक व्हीकल के ड्राइवरों ने कबूल किया है कि वेस्ट को नदी में ही फेंका जा रहा है।
चंपारण के लोगों के एक ग्रुप ने जिला अदालत में इसके खिलाफ एक याचिका दाखिल की है। जिस पर अदालत ने नगरपालिका से जवाब मांगा है।
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