अनिल अंबानी को कर्ज में डूबे रिलायंस एनर्जी को बेचना पड़ा है। अडानी ग्रुप ने रिलायंस एनर्जी के मुंबई बिजनेस को 18,800 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत आने वाली रिलायंस एनर्जी इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन क्षेत्र में सक्रिय है। अधिग्रहण के साथ ही अडानी ट्रांसमिशन अब इसका कामकाज देखेगी। अडानी ने कैश डील के तहत यह खरीद समझौता किया है।
रिलायंस एनर्जी का मुंबई में तकरीबन 30 लाख उपभोक्ता है, जिन्हें आने वाले समय में अडानी के नाम से बिल दिया जाएगा। हाल के दिनों में पावर सेक्टर में इसे सबसे बड़ा अधिग्रहण बताया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंफ्रा और अडानी ट्रांसमिशन ने गुरुवार को एसपीए (शेयर परचेज एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किया। वैधानिक मंजूरी मिलने के बाद इसे औपचारिक रूप दे दिया जाएगा। रिलायंस एनर्जी पूर्वी और पश्चिमी मुंबई में बिजली आपूर्ति का काम देखती है। खरीद समझौते के साथ ही सभी उपभोक्ता अब अडानी ट्रांसमिशन के हो जाएंगे।
रिलायंस इंफ्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल जालान ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने के बाद तीन हजार करोड़ रुपया बचेगा। उन्होंने बताया कि रिलायंस इंफ्रा अब कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और डिफेंस सेक्टर में अपना ध्यान केंद्रित कर सकेगी।
अनिल जालान ने कहा कि कर्ज न होने से बाजार से फंड उठाना ज्यादा आसान होगा। उनके अनुसार, रिलायंस इंफ्रा के पास 10,000 करोड़ रुपये मूल्य का प्रोजेक्ट है। मालूम हो कि यह कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी है।
रिलायंस एनर्जी को खरीदने के साथ ही अडानी ग्रुप इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन-ट्रांसमिशन के बाद अब डिस्ट्रब्यूशन क्षेत्र में भी अपने पैर जमा सकेगा। कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, ''भारत में चौबीसों घंटे बिजली मुहैया कराने की योजना है, ऐसे में बिजली वितरण अगला सनराइज सेक्टर है।''
भविष्य में संभावनाओं वाले क्षेत्र को सनराइज सेक्टर कहा जाता है। रिलायंस एनर्जी के मुंबई बिजनेस को बेचने से रिलायंस इंफ्रा को सीधे तौर पर 13,251 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके साथ ही कंपनी का मालिकाना हक ट्रांसफर होने पर 550 करोड़ रुपये और मिलेंगे।
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