जेएनयू की गिनती भारत के बौद्धिक संस्थानों में होती है। यहां का छात्र वर्ग देश-दुनिया की वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चर्चा और मंथन करता रहा है। उसकी सोच का दायरा बहुत बड़ा और संवेदनशील है।
समाजवादी पार्टी दिल्ली प्रदेश के प्रमुख महासचिव एवं प्रवक्ता आर एस यादव ने कहा, ''अभी खबर आई है कि जेएनयू में 'इस्लामी आतंकवाद' पर एक पाठ्यक्रम शुरू होगा। क्या किसी भी तरह की नकारात्मक गतिविधि को, जैसे आतंकवाद को मजहब से जोड़कर उसका नामकरण करना उचित होगा?''
आर एस यादव ने कहा, ''अपने देश की बहुलता का तकाजा तो यह कतई इजाजत नहीं देता कि एक बहुत बड़े वर्ग की भावना को ठेस पहुंचाते हुए एक बुराई को सिर्फ उनके मत्थे मढ़कर काम चला लिया जाए। जिन देशों में कथित तौर पर इस्लाम के नाम पर भी खुद की पहचान बना कर आतंकवाद सिर उठा रहा है। वहां भी ऐसे संबोधनों के जरिए यह एकपक्षीय जहरीली हवा नहीं चलाई जाती। हर धर्म की स्थापना उसकी कौम की तरक्की के लिए की गई थी, उसमें गलत तत्व घुसते चले गए और वे उन्हें रोक नहीं पाए।''
समाजवादी पार्टी दिल्ली प्रदेश के प्रमुख महासचिव एवं प्रवक्ता आर एस यादव ने कहा कि इसलिए अगर जेएनयू जैसे उच्च स्तरीय संस्थानों की शुचिता और स्वतंत्र विचारधारा को जिंदा रखने में केंद्र सरकार का यकीन है तो ऐसे अनर्गल कोर्स की बात नहीं की जानी चाहिए। जमीनी स्तर पर आतंकवाद का विरोध करने की ठोस कार्रवाई से बात बनेगी, बंद कमरे में आतंकवाद पढ़ाने से कुछ नहीं होगा।
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