बिहार में फिरौती वसूली के लिए कम, शादी के लिए ज्यादा अपहरण हो रहे हैं। खुद यह बिहार पुलिस के आंकड़े कहते हैं।
बिहार में भी गजब-गजब की घटनाएं होती हैं। ऐसी ही एक घटना है पकड़ुआ यानी जबरन विवाह की। लड़की के मां-बाप को जो लड़का अच्छा लग जाता है, उससे शादी के लिए किसी भी कीमत तक चले जाते हैं। यहां तक कि अपहरण कर घर लाते हैं और जबरन शादी रचा देते हैं।
बिहार में अपहरण की आधी से ज्यादा घटनाएं शादी से जुड़ी होती हैं। यानी यहां फिरौती से ज्यादा शादी के लिए अपहरण होता है।
बिहार पुलिस का दावा है कि पिछले साल जितने अपहरण के केस हुए, उनमें से क़रीब आधे तो शादी के लिए हुए। 2017 में 8336 अपहरण के केस दर्ज हुए, इनमें से 3075 का कनेक्शन शादी ब्याह से रहा।
पुलिस के मुताबिक, राज्य में हर साल औसतन तीन से चार हजार के बीच युवाओं के अपहरण सिर्फ शादी के लिए हो रहे हैं। हर साल मामले बढ़ने पर राज्य पुलिस मुख्यालय से शादियों के सीजन में सभी एसपी को खास हिदायतें भी जारी की जाती हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक, 2014 में 2526, 2015 में 3000, वहीं 2016 में 3070 युवकों का अपहरण कर बंदूक के दम पर शादी कराई गई। खुद पुलिस बताती है कि शादी के सीजन में हर तीन घंटे पर एक और 24 घंटे में औसतन आठ से नौ लोगों का अपहरण कर सामूहिक विवाह रचाने की घटनाएं होती हैं।
बिहार के कई जिले पकड़ुआ विवाह को लेकर बदनाम हैं। इन जिलों में नवादा, बेगूसराय, लखीसराय और मुंगेर आदि शामिल हैं। कुछ जगहों पर अब इस रिवाज को स्वीकार किया जाने लगा हैं।
हालांकि कई जगहों पर काफी विवाद हो जाता है तो पुलिस की मध्यस्थता के बाद समझौता होता है, फिर दूल्हा दुल्हन को घर लाने के लिए राजी होता है। पुलिस इन मामलों को आपराधिक वारदात से कहीं ज्यादा सामाजिक कुरीति और समस्या के रूप में देखती है। यही वजह है कि थानों में पहले अपहरण की घटनाएं दर्ज तो होती हैं, मगर बाद में वर-वधू पक्ष के बीच समझौता हो जाने के बाद केस को खत्म कर दिया जाता है।
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