संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया है कि म्यांमार के राखिने प्रांत में जारी हिंसा के कारण कम से कम 123,000 रोहिंग्या मुसलमान सीमा पार कर बांग्लादेश पहुंच गए हैं।
बांग्लादेश में यू एन एच सी आर के प्रवक्ता जोसेफ सूरजमोनी त्रिपुरा ने समाचार एजेंसी ए एफ ई को बताया कि हाल ही में पहुंचे शरणार्थियों में 30 हजार से ज्यादा पिछले 24 घंटे के दौरान पहुंचे हैं, जो अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के सूत्रों के मुताबिक, 123,000 में से सिर्फ छह हजार शरणार्थी अपने परिवार के सदस्यों के साथ कॉक्स बाजार जिले में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
मंगलवार को रोहिंग्या मुसलमानों का तांता लग गया। म्यांमार ने इस समुदाय को अपने यहां नागरिकता देने से इंकार कर दिया है और बांगलादेश ने इन्हें शरणार्थी का दर्जा दे दिया है।
ए एफ ई के मुताबिक, टेकनाफ इलाके में बंगाल की खाड़ी से होते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों की नौका लगातार तट पर पहुंच रही हैं।
बांग्लादेश में करीब तीन से पांच लाख के बीच रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं, जिनमें से केवल 32 हजार को ही शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है और वे कॉक्स बाजार जिले में रहते हैं।
अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ए आर एस ए) के विद्रोहियों ने पिछले दो दिनों में उत्तरी म्यांमार के गांवों के सैकड़ों मकानों को आग के हवाले कर दिया। एक सरकारी समिति ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, विद्रोहियों ने औकप्युमा गांव में सुरक्षा बलों के साथ झड़प होने के बाद 50 घरों को आग के हवाले कर दिया और औंता गांव में भी 120 घर फूंक डाले। दिंगार, सॉकीनामा और होंटारया में विस्फोटक उपकरणों में विस्फोट करके 90 से ज्यादा घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
म्यांमार के सुरक्षा बलों ने बताया कि थिनबॉग्वे गांव में आतंकवादियों ने 400 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया।
विद्रोहियों ने उत्तरी राखिने में 25 अगस्त को 30 पुलिस चौकियों पर हमले किए थे। 31 अगस्त तक 52 से ज्यादा हमले हुए, जिनमें 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए। हमलों के दौरान भागने की कोशिश कर रहे सात हिंदू और पांच दैंगनैत जाति के लोगों सहित 14 नागरिक मारे गए।
राखिने राज्य के करीब 38,000 रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा की ओर पलायन कर गए हैं।
म्यांमार की सेना ने कहा कि सुरक्षाबलों ने 11,720 जनजातीय ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है और उन्हें मदद मुहैया कराई जा रही है। म्यांमार की सेना ने बताया कि ग्रामीणों का निकालने का अभियान जारी है।
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